तकिया मस्जिद की जमीन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में: महाकाल मंदिर की प्रस्तावित पार्किंग इसी भूमि पर बननी है, हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत

तकिया मस्जिद की जमीन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में: महाकाल मंदिर की प्रस्तावित पार्किंग इसी भूमि पर बननी है, हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत

उज्जैन।
महाकाल मंदिर क्षेत्र के विस्तारीकरण प्रोजेक्ट में शामिल तकिया मस्जिद की जमीन का विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ताओं ने मस्जिद को पुनः निर्माण करने और भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने की मांग की है।

इससे पहले, इंदौर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच और डबल बेंच दोनों ने याचिका खारिज कर दी थी। अब हार के बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। मामले की सुनवाई इसी हफ्ते होने की संभावना है।


पृष्ठभूमि: जनवरी 2025 में हुआ था ध्वस्तीकरण

11 जनवरी 2025 को उज्जैन जिला प्रशासन ने महाकाल मंदिर के शक्ति पथ और अन्न क्षेत्र के पास बनी भूमि को खाली कराया था।
इस कार्रवाई में 257 मकानों और तकिया मस्जिद को ध्वस्त किया गया था।

प्रशासन ने इसे “अवैध निर्माण और अधिग्रहित भूमि” बताया था, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे 200 वर्ष पुरानी वक्फ संपत्ति बताया था।
मकान मालिकों को करीब 32 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था।


मुस्लिम पक्ष की दलील

मस्जिद में नमाज अदा करने वाले 13 नमाजियों की ओर से पहले इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी।
उनका कहना था कि —

  • तकिया मस्जिद वक्फ संपत्ति है,

  • प्रशासन ने गैरकानूनी तरीके से अधिग्रहण किया,

  • और मस्जिद को तोड़ना धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है।

हालांकि, हाईकोर्ट ने दोनों बार प्रशासन के पक्ष में फैसला सुनाया।


अब सुप्रीम कोर्ट में अपील

याचिकाकर्ता के वकील सैय्यद अशहर वारसी ने बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है।
उन्होंने कहा —

“हमने कोर्ट में यह कहा है कि जिला प्रशासन ने वक्फ की जमीन पर गलत तरीके से अधिग्रहण किया। यह भूमि धार्मिक संपत्ति है, जिसे महाकाल मंदिर विस्तार के नाम पर लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय की उम्मीद है।”


महाकाल मंदिर क्षेत्र में क्या बनेगा?

विवादित भूमि महाकाल मंदिर के अन्न क्षेत्र से सटी हुई है।
यहां मंदिर प्रबंध समिति की ओर से

  • बड़ी फोर-व्हीलर और टू-व्हीलर पार्किंग,

  • और अन्य मंदिर सुविधाओं के प्रकल्प विकसित करने की योजना है।

इन निर्माण कार्यों को लेकर प्रशासन का कहना है कि

“महाकाल कॉरिडोर विस्तार योजना में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पार्किंग और विकास कार्य आवश्यक हैं।”


आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज हो चुकी है और अगले हफ्ते सुनवाई की उम्मीद है।
मामले के फैसले पर महाकाल मंदिर क्षेत्र के विकास कार्यों की गति और विवाद का भविष्य दोनों निर्भर करेंगे।

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