April 29, 2024

वैशाख कृष्ण प्रतिपदा पर गर्भगृह में बांधी मटकियां….

उज्जैन। आज वैशाख कृष्ण प्रतिपदा 7 अप्रैल को महाकाल में सुबह भस्म आरती के बाद हर वर्ष अनुसार बाबा महाकाल के मस्तक के ऊपर नदियों के जल से 11 मटकिया बांधी गई। इन मटकियों से 2 माह तक प्रतिदिन भस्म आरती के बाद से शाम 5 बजे तक लगातार महाकाल के मस्तक पर जल प्रवाहित होगा, धार्मिक नाम के अनुसार 11 मटकीयों को बांधने को गलंतिका कहा जाता है । यह गलंतिका ठंडे पानी की मटकिया गर्मी में महाकाल को शीतलता प्रदान करने के लिए बांधी जाती है । यह मटकियां वैशाख से जेष्ठ माह तक बंधी रहेगी । महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु के अनुसार मटकीयों में कोटि तीर्थ कुंड का जल भरा जाता है माना जाता है कि कोटि तीर्थ कुंड के अंदर देश की सभी नदियों का जल प्रवाहित होता है। प्रतिदिन सुबह भस्म आरती के पहले भगवान महाकाल को कोटी तीर्थ कुंड के जल से ही स्नान करवाया जाता है ।
धार्मिक महत्व के अनुसार भगवान शिव में अधिक उष्णता होती है क्योंकि भगवान शिव तप में लीन रहते हैं, उन्होंने समुद्र मंथन के समय निकलने वाले विश को पिया था और शिव त्रिनेत्र धारी हैं इसलिए गर्मी के समय में शिव की उष्णता अधिक बढ़ जाती है । इसीलिए ठंडक प्रदान करने के लिए शिव के मस्तक पर गर्मी में मटकियों की गलंतिका को बांधकर शीतलता प्रदान की जाती है ।