नानाखेड़ा और चामुंडा माता के सिग्नल को जल्दी ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ दिया जाता है ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ने से बेहतर है रात में भी हरी और लाल बत्ती जलनी चाहिए।

दैनिक अवंतिका(उज्जैन) चामुंडा माता चौराहे पर रात 8-9 बजे के बाद ट्रैफिक सिग्नल काम करना बंदकर देते है। इस कारण हमेशा दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। इस चौराहे पर अधिकतर यात्री बसों की आवाजाही लगी रहती है ऐसे में हमेशा दुर्घटना का खतरा मंडराता रहता है। इसके अलावा शहर के अन्य सिग्नलों को भी रात में जल्दी ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ दिया जाता है। चामुंडा माता, नानाखेड़ा चौराहे के सिग्नलों पर रात में यातायात का अधिक दबाव होने के कारण दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। ऐसे में सवाल है कि सिग्नल को येलो कलर के ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ने से बेहतर है रात में भी हरी और लाल बत्ती जलनी चाहिए। चामुंडा माता चौराहे, नानाखेड़ा चौराहे के ट्रैफिक सिग्नल को रात 9:00 बजे के लगभग ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ दिया जाता है। ऐसे में यातायात का अधिक दबाव होने के कारण दुर्घटना की संभावना तो बनी ही रहती है साथ ही यातायात व्यवस्था भी बिगड़ जाती है। चामुंडा माता चौराहा समेत कई ऐसे चौराहे है। 9 बजे से सुबह तक सिग्नल को ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ दिया जाता है। ऐसे में सवाल है कि इन सिग्नल को यलो कलर के ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ने से बेहतर है कि रात में भी हरी और लाल बत्ती जलनी चाहिए ताकि वाहन चालक चौराहों को सतर्कता से पार करें। रात्रि में हमेशा बस श्रीगंज से चामुंडा चौराहे होते हुए निकलती है जिससे दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है रात 10:00 बजे बाद स्लीपर बसें भी नानाखेड़ा से फ्रीगंज होते हुए देवास गेट पहुंचती हैं इस कारण हमेशा दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। इन सिग्नलों पर रहता है यातायात का दबाव नानाखेड़ा चामुंडा माता चौराहे के सिग्नल पर रात में दुर्घटना की स्थिति बनी रहती हैं और कई बार इन चौराहे से निकलते समय वाहन आपस में टकरा जाते हैं। दोनों सिग्नलों पर रात में हमेशा यातायात व्यवस्था बिगड़ जाती हैं और देर रात तक यातायात का दबाव बना रहता है। इधर चामुंडा माता के सिग्नल पर भी रात में यातायात का दबाव बना रहता है रात में भारी वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाती है जिससे हमेशा दुर्घटना की स्थिति बनी रहती है। रात में भी चालू रहना चाहिए सिग्नल नानाखेड़ा क्षेत्र में रहने वाले अनिल तिवारी ने बताया कि नानाखेड़ा चौराहे के सिग्नल जल्दी बंद हो जाते हैं ऐसी स्थिति में इस चौराहे से निकलना खतरे से खाली नहीं है। प्रशासन को इस चौराहे के सिग्नल रात में भी चालू रखना चाहिए। ताकि कोई भी दुर्घटनाएं ना हो।