April 29, 2024

मन्दसौर ।  मनुष्य जीवन में सुख व दुख दोनों आते जाते रहते है। सुख के समय अपने विवेक को खो देना तथा दुख के समय निराशा का मन नहीं रखना चाहिये। दुख एक तरह का शिक्षक है जो कि हमें सिखाकर जाता है, इसलिये जीवन में दुखों से घबराये नहीं बल्कि समभाव में रहकर देव गुरु व धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा बनाये रखे। उक्त उदगार परम पूज्य जैन साध्वी श्री अर्हताश्रीजी म.सा. ने चौधरी कॉलोनी स्थित रूपचांद आराधना भवन में कहे। आपने कहा कि पृथ्वी पर जितने भी महापुरूष हुये है उनका जन्म भले ही उच्च कुल में हुआ हो, लेकिन उन्होंने जीवन में खुब दुख झेले लेकिन उन्होनें समता व समभाव का गुण बनाये रखा इसलिये वे महापुरूष कहलाये। साध्वी श्री ने कहा कि मोह ही दुख का कारण है मोहिनी कर्म ही आत्मा के उद्धार में सबसे बड़ी बाधा है इसलिये जीवन में मोह का त्याग करो तथा सामायिक, प्रतिक्रमण आदि धार्मिक क्रियाये करते हुए धर्म से नाता जोड़ो।