प्रतिबंधित सिमी के नावेद को 3 साल की सजा:आपत्तिजनक पर्चे किए थे वितरित

इंदौर ।  प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिमी के कार्यकर्ता को आपत्तिजनक पर्चे वितरित करने के मामले में कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई है। जिला अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेजट प्रथम श्रेणी रेखा तिवारी (इन्दौर) ने थाना खजराना के केस में निर्णय पारित करते हुए आरोपी मोहम्मद नावेद इरफान को धारा 153-ए और धारा 13 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम में 3-3 साल की सजा और 2 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया है।
दरअसल, 7 अप्रैल 2008 को थाना खजराना के एएसआई पीके प्रधान को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि कदर कामानी खजराना में इरफान पिता मो. यूनुस जो कि हीरोहोडा कंपनी में काम करता था ,वह आजकल प्रतिबंधित सिमी की गतिविधियों मे संलग्न होकर फंड इकट्ठा कर रहा है। साथ ही सिमी के सिद्धांतो से मुस्लिम बाहुल्य इलाके में दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने का प्रयास कर रहा है। उसकी पूरी कोशिश है कि मुसलमान एवं हिंदू समुदायों के बीच कटुता पैदा होकर दंगे हो। वह उस दिन शाम को इंदौर में कहीं बाहर जाने वाला था तथा रास्ते में पोस्टर व पर्चे वितरित करेगा और इसके एवज मे चंदा वसूलेगा। पुलिस ने कादर कॉलोनी से मिनी बस स्टॉप जाने वाले रास्ते पर घेरा बंदी करने पर थोड़ी देर में ही कालोनी के अंदर से एक लड़का काली टी-शर्ट और पेंट पहने हाथ में एक सफेद रंग की पॉलिथिन लिए आता दिखाई दिया। जिसे रोककर पूछताछ करने पर उसने उसका नाम मोहम्मद नावेद इरफान निवासी कादर कॉलोनी खजराना का बताया था। उसके पास पॉलिथिन की तलाशी लेने पर उसमें से एक उर्दू में छपी पत्रिका मिली व प्रतिबंधित संगठन सिमी से संबंधित कुछ आपत्तिजनक पंप्लेट्स मिले थे। जिनके बारे में पूछताछ कर पाया कि हिन्दू व इनकी सरकार मुस्लिमों पर जुल्म ढा रहे है। उनके संगठन सिमी को इस देश के कानून पर विश्वास नहीं है। वह सिमी के झंडे तले संगठित होकर अपने फैसले खुद करेंगे चाहे कुछ हो जाए। वह इसी तरह से फंड इकट्ठे कर संगठन को मजबूत रखेंगे आरोपी से प्राप्त पंप्लेट्स प्रतिबंधित थे। जो यदि वितरित हो जाते तो निश्चित ही इस क्षेत्र में हिन्दू मुस्लिम दंगा हो सकता था। आरोपी के खिलाफ क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967 की धारा 10,11,13 व धारा 153क, 153ख का दंडनीय अपराध पाए जाने से आरोपी से आपत्तिजनक दस्तावेज और मोबाइल जब्त जब्त किए। आरोपी को गिरफ्तार कर केस दर्ज किया। कोर्ट में पुलिस ने चालान पेश किया। जिसके बाद आरोपी को सजा सुनाई गई।