उज्जैन । उज्जैन जिले सहित पूरे प्रदेश में ऐसी कई ऐसी बड़ी सिंचाई परियोजनाएं हैं, जिनकी अधिकारियों की लापरवाही की वजह से लागत बढ़ी है और तय समय में निर्धारित रकवा क्षेत्र में सिंचाई का लक्ष्य भी पूरा नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आने वाले पांच साल में मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा 1 करोड़ हेक्टेयर करने के संकल्प के साथ पूरी ताकत से काम कर रहे हैं, लेकिन सिंचाई विभाग के कुछ अधिकारियों की लापरवाही की वजह से कई परियोजनाएं अपने अंतिम लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रही है। इसकी वजह से परियोजनाओं की जहां लागत लगातार बढ़ रही है, तो वहीं सरकार द्वारा निर्धारित सिंचाई रकवा में भी पानी नहीं पहुंच पा रहा है।
प्रदेश में बड़ी, मध्यम और सूक्ष्म कई सिंचाई परियोजनाएं चल रही हैं लेकिन कई ऐसी परियोजनाएं भी हैं, जो निर्माणाधीन हैं। इनमें से कुछ परियोजनाएं विभागीय लापरवाही व दूसरे कारणों की वजह से लंबित हैं और जिनकी लागत भी बढ़ गई है। इनमें जैसे चितरंगी, जावद नीमच परियोजनाओं को 2025-26 तक पूरी होना है, लेकिन वास्तविक स्थिति का आकलन कर ये समय पर पूरी नहीं हो पाएंगी। उल्लेखनीय है कि सरकार को वर्ष 2025-26 के दौरान प्रदेश में सिंचाई का रकबा 65 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाना है, लेकिन यह लक्ष्य पूरा हो पाएगा, इस पर कहा नहीं जा सकता है।
बताया गया है कि कुछ परियोजनाएं पूरी होने के बाद भी, तकनीकी या प्रबंधन कारणों से उनका पूरा लाभ नहीं मिल पाता। मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. मोहन यादव ने अपनी प्राथमिकताओं को सर्वोपरि रखा, जिनमें थी-कृषि, सिंचाई भी शामिल है। इन क्षेत्रों में उनकी सरकार ने वास्तविक परिवर्तनकारी कदम उठाए। प्रदेश की मोहन सरकार ने सिंचाई क्षमता 100 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का टारगेट तय किया है। जल संसाधन विभाग के अनुसार यह लक्ष्य 2028 तक और मजबूत होने की पूरी सम्भावना है।
