मुस्लिम समाज का बड़ा फैसला, शादियों में डीजे, बैंड और ढोल-बाजे पर लगाया प्रतिबंध

शाजापुर। शहर के मुस्लिम समाज ने सामाजिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए विवाह समारोहों में होने वाली फिजूलखर्ची और शोर-शराबे पर लगाम लगाने का निर्णय लिया है। रविवार दोपहर 2 बजे ईदगाह परिसर में शहर काजी के नेतृत्व में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि अब मुस्लिम समाज की शादियों में डीजे, बैंड और ढोल-बाजे का उपयोग नहीं किया जाएगा।
फिजूलखर्ची रोकने और सादगी पर जोर
बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए नायब काजी रहमतउल्ला ने बताया कि आधुनिक दौर में शादियों में बढ़ता दिखावा और फिजूलखर्ची चिंता का विषय है। समाजहित में यह तय किया गया है कि निकाह जैसे पवित्र संस्कार को शरीयत के अनुसार सादगीपूर्ण तरीके से संपन्न कराया जाए। डीजे और बैंड-बाजों पर प्रतिबंध लगाने से न केवल आर्थिक बोझ कम होगा, बल्कि धार्मिक मयार्दाओं का पालन भी सुनिश्चित हो सकेगा।
नया नियम 1 जनवरी से होगा प्रभावी
नायब काजी ने स्पष्ट किया कि यह प्रतिबंध 1 जनवरी 2026 से पूरे शहर में प्रभावी रूप से लागू कर दिया जाएगा। समाज के सभी वर्गों और परिवारों से अपील की गई है कि वे इस निर्णय का सम्मान करें और इसे स्वेच्छा से अपनाएं। बैठक में मौजूद समाज के प्रबुद्धजनों ने विश्वास जताया कि इस फैसले से सामाजिक कुरीतियों पर अंकुश लगेगा। इस अवसर पर शहर की विभिन्न मस्जिदों के इमाम, हाफिज-आलिम, विभिन्न मुस्लिम सामाजिक समितियों के सदर, समाज के वरिष्ठजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी सदस्यों ने एक सुर में इस पहल का समर्थन करते हुए इसे सफलतापूर्वक लागू करने का संकल्प लिया।

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