उज्जैन। दुखद घटनाक्रम में दिवगंत हुई आरक्षक आरती पाल का बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। चक्रतीर्थ पर पुलिस विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। आरती की अर्थी को टीआई अनिला पारशर और लीला सोलंकी ने कंधा दिया और नमन आंखों से श्रद्धांजली दी।
शनिवार को उज्जैन-बड़नगर के बड़े पुल से कार क्षिप्रा नदी में गिर गई थी। जिसमें उन्हेल थाना प्रभारी अशोक शर्मा, एसआई मदनलाल निनामा और आरक्षक आरती पाल सवार थे। थाना प्रभारी और एसआई की बॉडी मिलने के 65 घंटे बाद मंगलवार शाम कार के साथ आरती का शव मिला था। देर शाम को पोस्टमार्टम कराया गया। बुधवार सुबह शव कानीपुरा स्थित तिरूपति सेफरान कालोनी घर ले जाया गया। जहां से अंतिम यात्रा शुरू हुई। जिसमें पुलिस विभाग के सभी अधिकारी शामिल रहे। आईजी उमेश जोगा, डीआईजी नवनीत भसीन, एसपी प्रदीप शर्मा के साथ देवासगेट थाना प्रभारी अनिला पाराशर और महिला थाना प्रभारी लीला सोलंकी ने आरती की अर्थी को कंधा दिया। चक्रतीर्थ पर अंतिम बिदाई से पहले राजकीय सम्मान (गार्ड आॅफ आॅनर) दिया गया। इस दौरान पिता अशोक पाल, मां शीला पाल, भाई लोकेन्द्र पाल की आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे। बेटी के समय चले जाने पर मां बदहवास हो गई थी, जिन्हे थाना प्रभारी अनिला पाराशर ने संभाला। पिता का कहना था कि आरती बेटी नहीं बेटा थी। भाई लोकेन्द्र ने मुखाग्नि दी।
65 घंटे बाद बाद मिला था शव
6 सितंबर की रात 9 बजे हुए घटनाक्रम के बाद थाना प्रभारी अशोक शर्मा का शव 11 घंटे बाद रविवार सुबह भैरवगढ़ क्षेत्र पुल के नीचे से मिल गया था। 44 घंटे बाद सोमवार शाम को एसआई मदनलाल निनामा का शव भी भैरवगएÞ पुल के नीचे मिलना सामने आया था। लेकिन आरती पाल की तलाश में सर्चिंग जारी थी। 65 घंटे गुजर जाने के बाद क्षिप्रा नदी का जलस्तर कम होने पर मंगलवार शाम कार उसी स्थान से 70 फीट दूर मिली थी, जहां पुल से गिरी थी। कार में ही आरती का शव था।
बालिका की तलाश में निकले थे तीनों
दुखद हादसे से पहले सामने आया था कि उन्हेल कस्बे की रहने वाली 14 साल की बालिका लापता हो गई थी। मामले में अपहरण का प्रकरण दर्ज कर तलाश शुरू की गई थी। शनिवार को बालिका के चिंतामण क्षेत्र में होने का पता चला था। थाना प्रभारी अशोक शर्मा, एसआई मदनलाल निनामा और आरक्षक आरती बालिका की तलाश में कार से निकले थे। कार आरती की थी। कर्तव्य का पालन करते हुए ड्युटी के दौरान हुई घटना में तीनों के दिवगंत होने पर शहीद का दर्जा दिया गया है।
राजकीय सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार आरक्षक की अर्थी को महिला टीआई ने दिया कंधा
