उज्जैन। सिंहस्थ 28 से पहले शिप्रा शुद्ध और प्रवाहमान भी होगी। मानसून काल को छोडकर शेष 8 माह शिप्रा में जल प्रवाहमान मिलेगा और श्रद्धालुओं को मोक्षदायिनी के शुद्ध पानी में स्नान कर पुण्य प्राप्त करने को भी मिलेगा। इसके लिए जल संसाधन विभाग प्लान ए खान क्लोज डक्ट परियोजना के बाद बेकअप प्लान के तहत 5 बैराज पर काम कर रहा है।इससे कान्ह का गंदा पानी शिप्रा में किसी हाल में नहीं मिल सकेगा। शिप्रा को प्रवाहमान रखने के लिए शेष 8 माह सेवरखेडी – सिलारखेडी योजना से पानी छोडा जाएगा।
सिंहस्थ 2028 से पूर्व शिप्रा के शुद्ध एवं प्रवाहमान बनाने की और पुख्ता कदम बढाए जा रहे हैं। इसी के तहत कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना पर काम किया जा रहा है। इससे मानसून सत्र को छोडकर शेष 8 माह इंदौर , सांवेर, देवास से आने वाले सिवरेज वाटर को इंदौर रोड पर जमालपुरा से 30 किलोमीटर दूर गंभीर डेम के डाउनस्ट्रीम में ग्राम सिंगावदा के पास छोडा जाएगा। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री मयंकसिंह बताते हैं कि 4.5 मीटर बाय 5 मीटर की यह क्लोज डक्ट बनाई जा रही है। इसमें मानसून को छोडकर कान्ह से आने वाले सिवरेज पानी को सीधे सिंगावदा में छोडा जाएगा। नमामि शिप्रे योजना अंतर्गत शिप्रा शुद्धिकरण के तहत बेकअप प्लान के रूप में 5 बैराज बनाए जा रहे हैं।
वर्तमान कच्चे डेम से 200 मीटर दूर बनेगा पक्का डेम-
एसडीओ जलसंसाधन मयंक परमार के अनुसार कान्ह के त्रिवेणी पर स्थित कच्चे बांध से 200 मीटर अपस्ट्रीम की और गोठडा में नया और पक्का बैराज बनाया जा रहा है। गोठडा बैराज बेकअप प्लान के तहत बनाया जा रहा है। अभी यहां कच्चा मिट्टी का डेम बना दिया गया है। यहां बनाए जाने वाला पक्का बैराज 4.5 मीटर उंचा,132 मीटर लंबा और 7 मीटर से अधिक मोटाई का होगा। इसमें करीब 18 गेट रहेंगे। ये गेट कडी शटर के रहेंगे या स्लूस रहेंगे इस पर विचार जारी है। इस बैराज में 0.784 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी संग्रहित किया जा सकेगा। उसके बाद पानी ओवरफ्लो हो जाएगा। इसकी क्षमता 3390 क्यूमेक की रहेगी । इसकी लागत 624.42 लाख रूपए है। 5 जून के बाद इस पर काम शुरू होने वाला है। अप स्ट्रीम में सिरिज में 4 अन्य बैंराज राद्यो पिपिलिया,जमालपुरा, रामवासा, पंथपिपलई में भी बनाए जाएंगे। खास यह है कि इन बैराजों से किसान अपनी जरूरत के समय पानी लिफ्ट कर ले सकेंगे।
शिप्रा अपने ही पानी से होगी प्रवाहमान-
कार्यपालन यंत्री मयंकसिंह बताते हैं कि मानसून के दौरान सेवरखेडी जलाशय में शिप्रा का पानी एकत्रित किया जाएगा। इसके बाद शेष 8 माह में जरूरत के मान से इस पानी को सिलारखेडी डेम में छोडते हुए शिप्रा में प्रवाहित किया जाएगा। इससे मोक्षदायिनी शिप्रा मानसून काल को छोडकर शेष 8 माह अपने ही पानी से प्रवाहमान रहेगी।
उज्जैन। सिंहस्थ 28 से पहले शिप्रा शुद्ध और प्रवाहमान भी होगी। मानसून काल को छोडकर शेष 8 माह शिप्रा में जल प्रवाहमान मिलेगा और श्रद्धालुओं को मोक्षदायिनी के शुद्ध पानी में स्नान कर पुण्य प्राप्त करने को भी मिलेगा। इसके लिए जल संसाधन विभाग प्लान ए खान क्लोज डक्ट परियोजना के बाद बेकअप प्लान के तहत 5 बैराज पर काम कर रहा है।इससे कान्ह का गंदा पानी शिप्रा में किसी हाल में नहीं मिल सकेगा। शिप्रा को प्रवाहमान रखने के लिए शेष 8 माह सेवरखेडी – सिलारखेडी योजना से पानी छोडा जाएगा।
सिंहस्थ 2028 से पूर्व शिप्रा के शुद्ध एवं प्रवाहमान बनाने की और पुख्ता कदम बढाए जा रहे हैं। इसी के तहत कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना पर काम किया जा रहा है। इससे मानसून सत्र को छोडकर शेष 8 माह इंदौर , सांवेर, देवास से आने वाले सिवरेज वाटर को इंदौर रोड पर जमालपुरा से 30 किलोमीटर दूर गंभीर डेम के डाउनस्ट्रीम में ग्राम सिंगावदा के पास छोडा जाएगा। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री मयंकसिंह बताते हैं कि 4.5 मीटर बाय 5 मीटर की यह क्लोज डक्ट बनाई जा रही है। इसमें मानसून को छोडकर कान्ह से आने वाले सिवरेज पानी को सीधे सिंगावदा में छोडा जाएगा। नमामि शिप्रे योजना अंतर्गत शिप्रा शुद्धिकरण के तहत बेकअप प्लान के रूप में 5 बैराज बनाए जा रहे हैं।
एसडीओ जलसंसाधन मयंक परमार के अनुसार कान्ह के त्रिवेणी पर स्थित कच्चे बांध से 200 मीटर अपस्ट्रीम की और गोठडा में नया और पक्का बैराज बनाया जा रहा है। इसके सहित राद्यो पिपिलिया,जमालपुरा, रामवासा, पंथपिपलई में बैराज बनेंगे। प्रमुख रूप से गोठडा बैराज बेकअप प्लान के तहत बनाया जा रहा है। अभी यहां कच्चा मिट्टी का डेम बना दिया गया है। यहां बनाए जाने वाले पक्का बैराज 4.5 मीटर उंचा,132 मीटर लंबा और 7 मीटर से अधिक मोटाई का होगा। इसमें करीब 18 गेट रहेंगे। ये गेट कडी शटर के रहेंगे या स्लूस रहेंगे इस योजना पर विचार जारी है। इस बैराज में 0.784 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी संग्रहित किया जा सकेगा। इसकी क्षमता 3390 क्यूमेक की रहेगी उसके बाद पानी ओवरफ्लो हो जाएगा। इसकी लागत 624.42 लाख रूपए है। आगामी कुछ दिनों में इस पर काम शुरू होने वाला है। अप स्ट्रीम में सिरिज में 4 अन्य बैंराज का निर्माण किया जा रहा है। खास यह है कि इन बैराजों से किसान अपनी जरूरत के समय पानी लिफ्ट कर ले सकेंगे।
ऐसे होगी शिप्रा प्रवाहमान-
कार्यपालन यंत्री मयंकसिंह बताते हैं कि मानसून का पानी सेवरखेडी जलाशय में एकत्रित किया जाएगा। इसके बाद शेष 8 माह में जरूरत के मान से इस पानी को सिलारखेडी डेम में छोडते हुए शिप्रा में प्रवाहित किया जाएगा। इससे मोक्षदायिनी शिप्रा मानसून काल को छोडकर शेष 8 माह अपने ही पानी से प्रवाहमान रहेगी।
