दैनिक अवंतिका उज्जैन।चैत्र की नवरात्रि की महाष्टमी पर मंगलवार को उज्जैन में निरंजनी अखाड़े ने महापूजा की। पहले माता का पूजन हुआ। फिर देवी को मदिरा का भोग लगाया गया। साधु, संत ने प्रमुख रूप से इस नगर पूजा में भाग लिया।

अखाड़े की ओर से महामंडलेश्वर मंदाकिनी जी सहित अनेक संत, महंत मंदिर पहुंचे थे। उन्होंने माता का पूजन अर्चन कर उन्हें मदिरा का भोग लगाया व महाआरती कर नगरपूजा को रवाना किया। नगरवासी एवं संपूर्ण राष्ट्र की सुख-समृद्धि की कामना को लेकर महापूजा का आयोजन किया गया। यह पूजन प्रतिवर्ष चैत्र की नवरात्रि में निरंजनी अखाड़ा की ओर से किया जाता है। प्राचीनकाल में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य द्वारा शुरू की गई इस परंपरा का निर्वहन आज भी हो रहा है। नगर पूजा हरसिद्धि, चामुंडा, नगरकोट की रानी सहित प्राचीन देवी मंदिरों में भी पहुंची जहां पूजा, अर्चना की गई।

सुबह 8 बजे शुरू हुई नगर पूजा

40 मंदिर जाने में 12 घंटे लगे 

सुबह 8 बजे गुदरी चौराहा के पास 24  खंबा माता मंदिर पर देवी महामाया और महालया के पूजन-अर्चन के बाद उन्हें मदिरा का भोग लगाया गया। उसके बाद 27 किलो मीटर लंबी इस पूजन यात्रा की शुरुआत हुई जो रात में अंकपात पर हांडी फोड़ भैरव पर समाप्त हुई। यात्रा 40 देवी व भैरव मंदिरों में पूजा करते हुए 12 घंटे में रात को 8 बजे गढ़कालिका क्षेत्र स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर पहुँची जहां पूजा-अर्चना के साथ नगर पूजा संपन्न हुई।

राजा विक्रमादित्य के समय से चली आ

रही परंपरा का आज भी निर्वहन हो रहा

महाकाल की नगरी उज्जैन में ऐसी कई परंपराएं हैं, जो आज भी बरकरार है। यहां चैत्र नवरात्रि की महाष्टमी को राजा विक्रमादित्य के समय शुरू हुई। नगर पूजा की परंपरा को वर्तमान में भी पूर्व की तरह ही धूमधाम से निभाया जा रहा है। यह परंपरा भी काफी अनूठी है। पूजन खत्म होने के बाद माता मंदिर में चढ़ाई गई शराब को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दिया गया।