April 26, 2024

चुनावी वर्ष में सत्ता और संगठन में बढ़ता असंतोष कहीं डुबा न दे भाजपा की नैया? दो दिन दिल्ली में शिवराज

ब्रह्मास्त्र भोपाल। भाजपा की शिवराज सरकार और संगठन के मामले में जब भी असंतोष जैसा घटनाक्रम घटता है, तो सरकार और संगठन का चेहरा बदलने की बात होने लगती है। एक बार फिर ऐसी ही चर्चाएं हैं। चुनावी वर्ष होने के कारण इस बार मामला कुछ और अधिक गंभीर है। राजनीतिक गलियारे में यह सवाल फिर उठ रहा है कि क्या सत्ता और संगठन की धुरी शिव और विष्णु राज डगमगा रहे हैं। भाजपा आलाकमान और संघ पूरे मामले को ठीक ढंग से समझना चाहता है। वह देखना चाहता है कि क्या वाकई ऐसा असंतोष है, जिससे विधानसभा चुनाव में सरकार बनाना मुश्किल हो जाए या फिर कृत्रिम रूप से असंतोष का माहौल बनाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली और नागपुर में इस बात को लेकर गहरा मंथन हो रहा है। बताया जा रहा है कि भाजपा के कद्दावर नेता और देश के गृहमंत्री अमित शाह मध्यप्रदेश के शिवराज विरोधी नेताओं की दलीलों को गम्भीरता से सुन रहे हैं। क्या वाकई बदलाव अवश्यम्भावी है, दिल्ली में बैठकों के दौर जारी हैं।
गुजरात की तर्ज पर मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, खराब रिपोर्ट वाले एक दर्जन मंत्री बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि ,फिलहाल मुख्यमंत्री बदलने जैसी कोई स्थिति नजर नहीं आ रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2 दिन दिल्ली में रहने वाले हैं। मध्य प्रदेश के नेताओं की आपसी अनबन, मनमुटाव और सार्वजनिक बयानबाजी को लेकर आलाकमान से उनकी मुलाकात होगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार और अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय हो सकता है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय की सलाह को भी तवज्जो दी जा रही है। उधर, केंद्र को कुछ अन्य धड़ों द्वारा यह समझाने की कोशिश हो रही है कि मध्यप्रदेश भाजपा में अंदरूनी असंतोष विस्फोटक स्थिति में है। बाहर से पार्टी में आकर महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हुए सिंधिया गुट के खिलाफ भी पुराने भाजपाई खुलकर भड़ास निकाल रहे हैं। विंध्य प्रदेश, महाकौशल, ग्वालियर चम्बल, मालवा-निमाड़, सब इलाकों में सिर फुटव्वल है। प्रदेश में भाजपा को खड़ा करने वालों में से एक और ईमानदार मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कैलाश जोशी के पूर्व मंत्री पुत्र दीपक जोशी सहित कुछ नेता भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, कुछ चर्चारत हैं। हरदा से भी 30 भाजपाई कांग्रेस में शामिल हो गए। भाजपा आलाकमान को यही समझना है कि यदि ऐन चुनाव के वक्त भाजपा में भगदड़ मच गई और वे कांग्रेस या अन्य पार्टी में शामिल होने लगे तो जनता के बीच गलत संदेश जाएगा और इसके दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। भाजपा के लिए इस बार सत्ता में वापसी करना आसान नजर नहीं आ रहा है। कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले हफ्ते सावधान करते हुए यह बयान दिया था कि भाजपा को भाजपा ही हरा सकती है।