April 26, 2024

भोपाल। मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम का भ्रष्टाचार थमने का नाम ही नहीं लेता है। ध्यान रहे कि बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूलों में छात्र-छात्राओं को दी जाने वाली पुस्तकों का प्रकाशन पाठ्य पुस्तक निगम से होता है। यह निगम टेंडर निकाल कर विभिन्न शहरों में मौजूद प्रिंटरों को पुस्तक छपाई का ठेका देता है। यह आश्चर्यजनक है कि जिन पाठ्य पुस्तकों में नैतिकता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, संस्कृति सिखाने के बड़े-बड़े पाठ होते हैं, उसे ही छपाने वाला पाठ्यपुस्तक निगम चारित्रिक धरातल पर इन सब मानकों से बेहद दूर है। टेंडर घोटाले की तह में जाएं तो यह पता चलता है कि कुछ प्रिंटर पाठ्य पुस्तक निगम के भ्रष्ट अफसरों से सांठगांठ कर मशीन छपाई घोटाला कर चुके हैं। संभव है कि आज भी यह घोटाला बदस्तूर जारी होगा। इसकी एक बड़ी वजह यही है कि वर्षों से चले आ रहे भ्रष्टाचार के इस खेल को रोकने की कवायद नहीं की जा रही है। सब कुछ मालूम होते हुए भी सरकार आंखें मूंदे बैठी है। टेंडर में जहां से पाठ्यपुस्तक छपवाना बताया जाता है, वहां वह अधिकांशतः झूठ के धरातल पर टिका होता है। टेंडर भरते समय बताना होता है कि उनकी प्रिंटिंग मशीन कहां पर है ? कौन सी है? मशीन की क्षमता और गुणवत्ता आदि भी देखी जाती है, परंतु टेंडर भरते समय तो सब कुछ ऑल इज वेल बता दिया जाता है। बाद में इधर- उधर से छपाई करवा कर पाठ्य पुस्तक निगम को पुस्तकें थमा दी जाती हैं। कुछ प्रिंटर ऐसे भी होते हैं जो टेंडर भरते समय भले ही अपनी स्वयं की मशीन पर छपाई करवाना बताते हैं, लेकिन हकीकत में वे जिस शहर के लिए या पाठ्य पुस्तकों की जरूरत होती है, उसी शहर में किसी दूसरे प्रिंटिंग वाले को कम पैसे में ठेका देकर छपा लेते हैं। वहीं पर पुस्तकों का वितरण भी करवा देते हैं।

जांच बैठ जाए तो खुद मामा भी चौंक जाएंगे

मामा कहते हैं कि भ्रष्टाचारियों को जमीन के नीचे गाड़ दूंगा, लेकिन उनकी नाक के नीचे मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम में ही भ्रष्टाचार वर्षों से जारी है। जरूरी यह है कि मामा एक बार किसी अन्य एजेंसी से मध्य प्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के टेंडर सहित इस मामले की संपूर्ण जांच करवा लें, तो खुद- ब- खुद ऐसे कई खुलासे होंगे जिससे जिसमें खुद मामा भी चौंक जाएंगे।