नई दिल्ली।रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के बीच 2001 से 2008 के दौरान कई बार मुलाकात हुई।रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साल 2001 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से अपनी पहली मुलाकात के दौरान पाकिस्तान को लेकर चिंता जताई थी। पुतिन ने कहा था कि पाकिस्तान असल में एक सैन्य शासन यानी जुंटा है, जिसके पास परमाणु हथियार हैं। यह कोई लोकतांत्रिक देश नहीं है।पुतिन के मुताबिक, इसके बावजूद पश्चिमी देश पाकिस्तान की आलोचना नहीं करते, जो चिंता की बात है। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए।दोनों नेता पाकिस्तान के अंदरूनी हालात, राजनीतिक अस्थिरता और परमाणु कमांड सिस्टम को लेकर चिंतित थे। उन्हें डर था कि अगर हालात बिगड़े तो परमाणु तकनीक गलत हाथों में जा सकती है।यह जानकारी दोनों के बीच 2001 से 2008 के दौरान हुई बातचीत के डीक्लासिफाइड दस्तावेज सामने आए हैं। ये दस्तावेज अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव ने सूचना के अधिकार कानून के तहत जारी किए हैं।पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा सिस्टम पर चिंता जताई थी-यह बातचीत ऐसे समय में हुई थी जब दुनिया में आतंकवाद और दक्षिण एशिया की सुरक्षा को लेकर हालात काफी संवेदनशील थे। पुतिन का मानना था कि परमाणु हथियारों से लैस किसी गैर-लोकतांत्रिक देश का होना वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।बातचीत में पाकिस्तान के ‘एक्यू खान नेटवर्क’, ईरान और उत्तर कोरिया तक परमाणु तकनीक पहुंचने के खतरे और पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता जताई गई है।2001-2008 के दौर में पाकिस्तान में सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ का शासन था। 9/11 के बाद आतंकवाद विरोधी लड़ाई में अमेरिका और रूस दोनों उसका सहयोग ले रहे थे। इसके बावजूद, दोनों नेताओं को पाकिस्तान की न्यूक्लियर पॉलिसी और कंट्रोल सिस्टम पर भरोसा नहीं था।इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा कि रूस पश्चिमी देशों का हिस्सा है, कोई दुश्मन नहीं। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के प्रति सम्मान भी जताया। बाद में बुश ने यह भी कहा था कि उन्होंने पुतिन को करीब से समझा और उन्हें भरोसेमंद पाया।
पाकिस्तान के एटमी हथियार दुनिया के लिए खतरा:दस्तावेजों से खुलासा
