लैंड पुलिंग मामले में अब किसानों को उज्जैन उत्तर विधायक का समर्थन मिला

विधायक बोले – जनता ने ही उन्हें जनप्रतिनिधि चुना है, जनता और किसानों के हित में खड़ा रहना उनका कर्तव्य है

विधायक कालूहेड़ा ने मुख्यमंत्री को खुला पत्र दिया है और मीडिया के समक्ष अपनी बात भी रखी

 

ब्रह्मास्त्र उज्जैन

सिंहस्थ क्षेत्र लैंड पुलिंग योजना के विरोध में 26 दिसंबर से महाधरना देने जा रहे किसानों को अब सिंहस्थ के मुख्य आयोजन उज्जैन उत्तर क्षेत्र के विधायक अनिल जैन कालूहेडा का समर्थन भी मिल गया है। विधायक कालूहेड़ा ने इसे लेकर मुख्यमंत्री को खुला पत्र दिया है और मीडिया के समक्ष अपनी बात भी रखी है।

उज्जैन उत्तर से भाजपा विधायक अनिल जैन कालूखेड़ा ने लैंड पुलिंग (भूमि समेकन) के मुद्दे पर सरकार और संगठन के रुख के बीच किसानों के साथ खड़े रहने का स्पष्ट संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि सरकारें जनता बनाती है और जनता ने ही उन्हें जनप्रतिनिधि चुना है, इसलिए जनता और किसानों के हित में खड़ा रहना उनका कर्तव्य है। विधायक कालूखेड़ा ने बताया कि सरकार और संगठन के निर्देशों के बावजूद वे लगातार विधानसभा के भीतर और बाहर लैंड पुलिंग के विरोध में खड़े रहे। उन्होंने कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक में लैंड पुलिंग को वापस लेने का निर्णय हुआ था। इसके बाद किसानों द्वारा निकाली गई उत्सव रैली में भी वे शामिल हुए और मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया गया कि लैंड पुलिंग वापस ले ली गई है। हालांकि, बाद में प्रेस, प्रशासन और किसान संघ के माध्यम से यह जानकारी सामने आई कि लैंड पुलिंग पूरी तरह वापस नहीं हुई है, बल्कि कुछ धाराएं समाप्त कर इसे दोबारा लागू किया जा रहा है। इसी कारण किसान संघ ने 26 तारीख को आंदोलन की घोषणा की है। विधायक ने कहा कि ऐसी स्थिति में वे विवश होकर किसानों और जनता के हित में इस आंदोलन में शामिल होंगे।

चुनाव वादे का उल्लेख- विधायक अनिल जैन कालूखेड़ा ने अपने चुनावी वादे का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान पीपलीनाका क्षेत्र में आयोजित आमसभा में उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने यह वादा किया था कि मकान मंदिर स्वरूप होते हैं और इन्हें तोड़ा नहीं जाना चाहिए। सिंहस्थ क्षेत्र में लगभग एक लाख की आबादी बस चुकी है, इसलिए इस क्षेत्र को डी-नोटिफाई कर आवासीय उपयोग में लाया जाए और लोगों को सिंहस्थ के प्रतिबंधों से मुक्त किया जाए। इसी वादे के आधार पर जनता ने उन्हें 27हजार 500 वोटों से विजयी बनाया।

सिंहस्थ वैभव की बात- साथ ही सिंहस्थ क्षेत्र को उसके पूर्व वैभव में लौटाया जाए। उजड़खेड़ा, लाल पुल, बड़नगर रोड, रातड़िया रोड सहित जितनी भी डामरीकृत सड़कें बनी हुई हैं, उनका चौड़ीकरण किया जाए। नदी के समानांतर 100 फीट चौड़ी सड़क का निर्माण किया जाए। विधायक ने कहा कि सिंहस्थ क्षेत्र में किसान, मजदूर और सभी वर्गों के लोग मिलकर शांतिपूर्वक और हर्षोल्लास के साथ पर्व मनाते आए हैं और आगे भी मनाते रहेंगे।
मुखालफत नहीं सही निर्णय की मांग- विधायक कालूखेड़ा ने मीडिया को दिए अपने बयान में स्पष्ट किया कि यह उनके सरकार के खिलाफ होने का विषय नहीं है, बल्कि सरकार से किसानों के पक्ष में सही निर्णय लेने की मांग है। उन्होंने कहा कि यदि लैंड पुलिंग वापस लेने का निर्णय हो चुका है, तो किसान संघ आंदोलन क्यों कर रहा है, यह सवाल स्वयं खड़ा होता है। जब तक किसानों की शंकाओं का समाधान नहीं होता, तब तक उनका साथ देना उनकी अंतरात्मा की आवाज है।

किसान जमे एमपीआरडीसी कार्यालय के समक्ष, घंटों धरना
उज्जैन-जावरा प्रस्तावित एक्ससे कंट्रोल के विरोध में सोमवार को प्रभावित हो रहे किसानों ने एक बार फिर से मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम कार्यालय पर धरना किया है। पूर्वाह्न से देर शाम तक यह धरना चलता रहा। समाचार लिखे जाने तक करीब 300 से अधिक किसान धरना पर बैठे थे अधिकारी उन्हें संतुष्टिकारक जवाब नहीं दे पा रहे थे। किसान संतुष्टिकारक जवाब मांग रहे थे। उज्जैन-जावरा एक्ससे कंट्रोल रोड के निर्माण के लिए उज्जैन जिले के उज्जैन, घट्टिया, नागदा, खाचरौद तहसील एवं रतलाम जिले के जावरा तहसील के करीब 2500 किसानों की कुल करीब 2700 बीघा जमीन अधिग्रहण की जा रही है। इसमें धारा 21 के तहत कार्रवाई हो चुकी है।98 किलोमीटर का यह मार्ग निर्माण किया जाना है। दोनों जिलों की 5 तहसीलों के कुल 62 गांव इससे प्रभावित हो रहे हैं। आंदोलनकारी किसान नेता राहुल सिंह राजपूत के अनुसार इस एक्ससे कंट्रोल मार्ग का निर्माण जिस किसान की जमीन पर किया जा रहा है उसे कोई लाभ ही नहीं है। हमारी मांग है कि एक्सेस कंट्रोल की बजाय नार्मल हाईवे बनाया जाए जिसका लाभ क्षेत्रीय किसानों को भी हो। इसके साथ ही जमीन अधिग्रहण पर बाजार मूल्य से मुआवजा दिया जाए। धरने के लिए पूर्व से ही किसानों ने घोषणा कर रखी थी जिस पर अमल करते हुए पांचों तहसील के किसान यहां पहुंचे और दोपहर पूर्व से ही कार्यालय के समक्ष जमकर धरना दिया। किसान नेताओं का आरोप था कि इस बीच अधिकारियों ने जो भी चर्चा की मात्र दिलासा देने की रही।

कुल 62 गांव की 2700 बीघा जमीन- किसान नेता राहुलसिंह के अनुसार एक्सेस कंट्रोल मार्ग के लिए उज्जैन जिले की 4 तहसीलों के करीब 45 से अधिक गांव की जमीन अधिगृहण की जा रही है। रतलाम जिले की जावरा तहसील के करीब 17 गांव की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। कुल 2700 बीघा जमीन में से 2200 बीघा जमीन उज्जैन जिले की चार तहसीलों के अंतर्गत आ रहे गांवों की इसमें है। शेष जमीन जावरा तहसील के गांवों की है।

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