उज्जैन की लीना वर्मा की कहानी: मौत से पहले ‘धन्यवाद’ की मिसाल बनी एक डायरी

उज्जैन की लीना वर्मा की कहानी: मौत से पहले ‘धन्यवाद’ की मिसाल बनी एक डायरी

उज्जैन की लीना वर्मा अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आखिरी लिखी गई डायरी हर किसी की आंखें नम कर देने वाली है। 43 वर्षीय लीना ने 22 अप्रैल को कार्डियक अरेस्ट के कारण अंतिम सांस ली, लेकिन उससे पहले उन्होंने जिस भाव से अपने जीवन के हर पात्र का आभार व्यक्त किया, वह आज एक मिसाल बन गया है।

जीवन के अंत में भी कृतज्ञता

लीना की डायरी का एक-एक शब्द उनकी सकारात्मक सोच, गहराई और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने लिखा—

“मैं कृतज्ञ हूं अपने ससुरजी के लिए, जिन्होंने मुझे बहू नहीं, बेटी समझा।
मैं कृतज्ञ हूं अखबार लाने वाले हॉकर की, जो हर मौसम में खबरें पहुंचाते हैं।
मैं कृतज्ञ हूं उस पहले इंसान की, जिसने अखबार छापने की सोची।”

यह सब उन्होंने मौत से एक दिन पहले लिखा, जब उनके हाथ में भगवान महाकाल की तस्वीर थी और होंठों पर ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप।

बीमारी से संघर्ष और संतुलन

लीना 2012 से ही किडनी की बीमारी से जूझ रही थीं। 2023 में डायलिसिस शुरू हुआ। दो साल तक नियमित इलाज के साथ उन्होंने परिवार और जिम्मेदारियों को संभाले रखा। 21 अप्रैल को आए कार्डियक अरेस्ट के बाद उनका शरीर जवाब देने लगा। एमआरआई जांच में यह सामने आया कि उनकी आर्टरीज में लीकेज हो चुका है।

परिवार के लिए छोड़ गई यादें

लीना के पति संजय बताते हैं, “वो कहती थीं- मेरी जिम्मेदारियां खत्म हो गईं। अब तुम जानो और बच्चे। पिछले 5-6 महीनों से वो पीटीएम में भी नहीं जा रही थीं।” उनके दो बेटे हैं— पार्थ और रुद्राक्ष। दोनों की पढ़ाई में गहरी रुचि थी और कोविड से पहले उनकी स्कूल हाजिरी 100% रही।

अगर लीना जीवित होतीं, तो 1 अगस्त को अपना 43वां जन्मदिन मना रही होतीं। लेकिन आज, उनका परिवार बस उनकी डायरी, उनकी लिखावट और उनके कृतज्ञ भावों को ही संजो कर बैठा है।

सीख देती गईं लीना

लीना की आखिरी पंक्तियां यही संदेश देती हैं कि…

“सांसें गिनी हुई हैं, हर सांस का आनंद लीजिए। जीवन में कृतज्ञता रखिए, तो कोई तकलीफ बड़ी नहीं लगती।”

उनका जीवन आज हर किसी के लिए यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम भी जीवन के संघर्षों के बीच शुक्रिया कहना याद रखते हैं?

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