दैनिक अवंतिका उज्जैन।
आषाढ़ मास 12 जून से शुरू हो गया है जो कि 10 जुलाई तक रहेगा। इस मास में भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है। इसी माह में देव सोते हैं। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव शयनी एकादशी भी कहते हैं। इस बार यह 6 जुलाई को आएगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि देव शयनी एकादशी के दिन से ही भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए इसके बाद के चार माह तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। खासकर शादी-ब्याह जैसे आयोजन नहीं होते हैं। क्योंकि यह समय देवताओं के शयन का होता है। इन चार माह में सृष्टि का संचालन का कार्यभार भगवान शिव के पास रहता हैं।
गर्मी और बारिश के संधिकाल
में आता है यह आषाढ़ मास
अभी गर्मी और बारिश के संधिकाल का समय चल रहा है। ग्रीष्म ऋतु खत्म होगी और वर्षा ऋतु की शुरुआत होगी। इसी मास को आषाढ़ कहते हैं। आषाढ़ मास में पूजा-पाठ के साथ ही तीर्थ यात्रा, नदी स्नान, मंत्र जप, दान-पुण्य करना बहुत शुभ है। इस महीने में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा भी निकलती है। इस बार 27 जून को निकलेगी।
आषाढ़ मास में सूर्य को जल
चढ़ाएं और गोसेवा भी करें
आषाढ़ मास में रोज सुबह सूर्योदय से पहले जागना चाहिए और स्नान आदि कामों के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करके दिन की शुरुआत करनी चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। पूजा करते समय अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय आदि का जप करें। गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं। जरूरतमंद लोगों को खाना, कपड़े, जूते-चप्पल, अनाज, धन का दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें।
