भोपाल — मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार में मंत्री कुंवर विजय शाह का एक बयान सोमवार को विवादों में घिर गया है। उन्होंने सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम लिए बिना ऐसा विवादित वक्तव्य दिया, जो न सिर्फ राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है, बल्कि सेना जैसी गरिमामयी संस्था और महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण से भी कई सवाल खड़े करता है।
क्या कहा मंत्री विजय शाह ने?
विजय शाह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बोलते हुए कहा:
“जिन लोगों ने हमारी बहनों के सिंदूर उजाड़े थे, उन कटे-पिटे लोगों को हमने उन्हीं की बहन को भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करवा दी। पीएम मोदी ने हमारी फौज की बहन को उनके घर जहाज से भेजा ताकि उन्हें सबक सिखाया जा सके।”
इस बयान को साफ तौर पर कर्नल सोफिया कुरैशी की ओर इशारा माना जा रहा है, जो हाल ही में एक सफल सैन्य मिशन का हिस्सा रही हैं और जिनकी नेतृत्व क्षमता की पूरे देश में सराहना हो रही है।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की पहली महिला अफसरों में से हैं, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वह सेना में साहस, नेतृत्व और राष्ट्रभक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। उनका नाम कई युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुका है।
राजनीतिक विवाद क्यों?
मंत्री के बयान में जिस तरह “उनकी बहन” शब्द का प्रयोग कर एक महिला अधिकारी को “दुश्मन” समुदाय की प्रतीक बना दिया गया, उसे कई लोगों ने असंवेदनशील, लिंगभेदी और सांप्रदायिक करार दिया है।
प्रतिक्रियाएं क्या आ रही हैं?
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सेना से रिटायर्ड अधिकारियों ने इस बयान को सेना की तटस्थता और गरिमा के खिलाफ बताया है।
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विपक्षी दलों ने इसे शर्मनाक करार देते हुए माफी की मांग की है।
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महिला अधिकार संगठनों ने भी मंत्री के बयान को महिला सशक्तिकरण के खिलाफ बताया।
क्या कहना है जनता का?
सोशल मीडिया पर यूज़र्स दो गुटों में बंटे हैं — एक पक्ष इसे देशभक्ति की भावना से जोड़ रहा है, वहीं दूसरा इसे महिला अधिकारी का अपमान और राजनीति का सैन्यकरण मान रहा है।
निष्कर्ष:
राजनीति में बयानबाज़ी आम बात है, लेकिन जब यह सेना, महिला अधिकारी और सांप्रदायिक भावनाओं को जोड़ती है, तब मामला गंभीर हो जाता है। एक जिम्मेदार नेता से उम्मीद की जाती है कि वे सेना की गरिमा बनाए रखें, ना कि उसे वोट बैंक की रणनीति का हिस्सा बनाएं।
