उज्जैन की फर्जी डॉक्टर का ऑडियो वायरल: परिजनों को धमकाया, कहा- सेटलमेंट कर लो; बच्चे की मौत के बाद भी FIR नहीं
घटनाक्रम:
उज्जैन में गलत इलाज से हुई नवजात बच्ची की मौत के मामले में अब तक जिम्मेदारों पर FIR नहीं हो सकी है। फर्जी डॉक्टर तैयबा शेख घटना के एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी खुलेआम घूम रही है। स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की है कि वह फर्जी डिग्रीधारक है और उसे डिलीवरी या इलाज करने की कोई अनुमति नहीं थी।
ऑडियो में धमकी: “मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा, बैठकर बात कर लो”
मामले से जुड़े एक ऑडियो क्लिप में तैयबा शेख खुद परिजनों को फोन कर यह कहते हुए सुनी गई —
“मेरा कुछ बिगड़ने वाला नहीं है, बात आगे मत बढ़ाओ, बैठकर बात कर लो।”
यह कॉल मृत बच्ची के मामा महेश मालवीय को की गई थी। उन्होंने बताया कि डॉक्टर ने “सेटलमेंट” की बात कही थी। परिजनों ने इस धमकी भरे कॉल के बाद पंवासा थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अब तक पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की।
पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के बीच तालमेल की कमी
फर्जी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई को लेकर स्वास्थ्य विभाग और पुलिस विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टाल रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने क्लिनिक को सील करने की कार्रवाई करके अपना पल्ला झाड़ लिया, वहीं पुलिस का कहना है कि जांच प्रतिवेदन आने के बाद ही FIR दर्ज की जाएगी।
पंवासा थाना प्रभारी जी.एस. मंडलोई ने बताया —
“बच्चे के परिजन आवेदन दे गए हैं। जांच रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग से आने के बाद ही FIR दर्ज होगी। हमें यह पुष्टि नहीं मिली है कि उसकी डिग्री फर्जी है या नहीं।”
पहले भी सील हो चुका है क्लिनिक
यह पहली बार नहीं है जब तैयबा शेख पर कार्रवाई हुई हो।
करीब 6 माह पहले भी उसके पांड्याखेड़ी स्थित क्लिनिक को स्वास्थ्य विभाग ने सील किया था, जब एक बच्चे की मौत हुई थी। उस समय FIR दर्ज की गई थी, लेकिन केवल छह माह बाद ही उसने दूसरी जगह “विशेष हॉस्पिटल” के नाम से अपना गोरखधंधा फिर शुरू कर दिया।
घटना का पूरा क्रम
- 2 अक्टूबर: काजल नाम की गर्भवती महिला को दर्द होने पर परिवार पहले जीवाजीगंज स्थित सरकारी अस्पताल लेकर गया।
- इसके बाद उसे आशीर्वाद हॉस्पिटल (तैयबा शेख का क्लिनिक) ले जाया गया, फिर विशेष हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
- इलाज के दौरान नवजात की मौत हो गई।
- परिजनों ने माधव नगर अस्पताल में पहुंचकर हंगामा किया।
- 3 अक्टूबर को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने क्लिनिक को सील कर दिया।
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग की टीम में डॉ. जितेंद्र रघुवंशी (माधव अस्पताल अधीक्षक), डॉ. प्रदीप कुमार सोमेश (शिशु रोग विशेषज्ञ), और डीएचओ जितेंद्र सिंह राजपूत शामिल थे।
टीम ने 3 अक्टूबर को आशीर्वाद अस्पताल सील किया और 6 अक्टूबर को फ्रीगंज स्थित विशेष अस्पताल से सभी कागजात जब्त किए।
टीम ने बताया कि रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी, जिसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
परिजन बोले – सिर्फ सील करने से न्याय नहीं मिलेगा
मृत बच्ची के मामा महेश मालवीय का कहना है —
“अगर किसी फर्जी डॉक्टर के कारण बच्चे की जान गई, तो सिर्फ क्लिनिक सील कर देना काफी नहीं। जब तक FIR दर्ज नहीं होगी और सजा नहीं मिलेगी, तब तक ऐसे लोग निर्दोषों की जान लेते रहेंगे।”
सिस्टम पर सवाल
यह मामला न केवल फर्जी डॉक्टरों की सक्रियता, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और विभागीय समन्वय की कमी को भी उजागर करता है।
एक ओर स्वास्थ्य विभाग फर्जी डिग्री की पुष्टि कर चुका है, वहीं पुलिस जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। इस बीच आरोपी खुलेआम घूम रही है और परिजनों को धमकियां दे रही है।
