कश्मीरी मुस्लिम ने पंडितों से हाथ जोड़कर मांगी माफी… और कहा- यह हैवानियत और इंसानियत की लड़ाई

मैं चश्मदीद … हमारे सामने ही हमारी कौम ने पंडितों को मारा – लूटा

“द कश्मीर फाइल्स” प्रोपेगेंडा नहीं बल्कि हकीकत

ब्रह्मास्त्र नई दिल्ली। कश्मीर के एक युवा मुस्लिम ऐक्टिविस्ट ने 90 की दशक की घटनाओं के लिए कश्मीरी पंडितों से हाथ जोड़कर माफी मांगी है और दावा किया गया है कि वह खुद भी हिंदुओं के नरसंहार के चश्मदीद हैं। उन्होंने एक स्थानीय न्यूज चैनल पर डिबेट के दौरान यह बात कही। फिर कई ट्वीट के जरिए भी कश्मीर के मुसलमानों से आगे बढ़कर अपना गुनाह कबूल करने और सामूहिक माफी मांगने को कहा है। कश्मीरी पंडितों के साथ हुई बर्बरता पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने उस युवा मुस्लिम ऐक्टिविस्ट का वीडियो शेयर किया है और उसकी तारीफ में कुछ खास बातें लिखी हैं।

हिंदुओं के नरसंहार के चश्मदीद

दरअसल, स्थानीय एएनएन न्यूज पर पीपुल्स डेमोक्रैटिक फ्रंट (सेक्युलर) के महासचिव जावेद बेग ने कहा है कि वह कश्मीर के संग्रामपुरा नरसंहार का चश्मदीद है। उन्होंने देखा है कि किस तरह से बेगुनाह कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम किया गया था। उन्होंने कहा है कि आज के युवाओं को पिछली पीढ़ी की गलतियों को कबूल करना चाहिए। जावेद ने कहा कि यदि आज भी हमने हिंदू -मुस्लिम की लड़ाई और कोई प्रोपेगेंडा किया तो आने वाले समय में कश्मीर में और समस्याएं आएंगी। यह फिल्म प्रोपेगंडा नहीं है, बल्कि हकीकत है।
यह वीडियो शेयर करते हुए ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर लिखा है कि यदि कोई इस युवा आदमी को जानता हो तो मेरा प्यार और शुक्रिया उन तक पहुंचाएं।

‘कश्मीरी पंडितों से माफी मांगनी चाहिए

मुस्लिम युवा ने कहा है, ‘दर्जनों कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम कर दिया गया था….मैंने अपनी आंखों से देखा है। जिन लोगों को मारा गया, वह न तो ‘आजादी’ रोक रहे थे और न ही किसी कश्मीरी मुसलमान को मार रहे थे। वे निहत्थे लोग थे। अगर वह नरसंहार नहीं हैं तो फिर क्या है ?’ उन्होंने कहा, ‘वह गुनाह किया गया था और इसके लिए हम सबको मिलकर सार्वजनिक तौर पर कश्मीरी पंडितों से माफी मांगनी चाहिए। इसके लिए आपको फिल्म की जरूरत नहीं।
कभी किसी कश्मीर कश्मीरी पंडित ने हमारी मस्जिद को नहीं तोड़ा, लेकिन मुझे शर्मिंदगी हो रही है कि हमने उनके ऊपर जुल्म किए। यह इंसानियत और हैवानियत की लड़ाई है। यह कोई पॉलिटिकल जंग नहीं है। हमारा मकसद यह है कि कश्मीरी पंडित अपने घरों में आएं। इसके लिए उन्हें किसी जावेद या किसी और की इजाजत की जरूरत नहीं है। जितना जावेद का कश्मीर है उतना ही पंडितों का भी।
कश्मीरी पंडित भगोड़े नहीं हैं। जो भगोड़ा कहेंगे वह कश्मीर के दुश्मन हैं। कश्मीरी पंडित तो अपनी इज्जत, अस्मत और जान बचाने के लिए यहां से गए थे। उनके मकानों को लूटा गया। आज की तारीख में कई कश्मीरी पंडितों के पास जमीन नहीं है। मकान नहीं है, जिन्होंने भी वह जमीन खरीदी है ,उसने गुनाह किया है या कश्मीरी पंडितों की जमीनों पर कब्जा किया है वह भी गुनाह है। यह गैर इस्लामियत है। हमारा कर्तव्य था कि हम उस समय उनकी इज्जत, अस्मत और जान बचाते। उन्होंने कहा कि आज भाजपा और कांग्रेस के जो लोग बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, वे उस समय कहां थे? जो लोग कश्मीर में आकर राजनीति कर रहे हैं, कोई कर्नाटक से आ रहा है, कोई मध्य प्रदेश से तो कोई किसी और प्रदेश से, वे उस वक्त कहां थे?

‘हमारे घर के लोगों ने ही कश्मीरी पंडितों को मारा था’

उन्होंने यहां तक कहा है कि ‘जिन लोगों ने कश्मीरी पंडितों को मारा वे कहां के थे?……हमारी ही बस्तियों…हमारे घरों के लोग थे। कश्मीरी पंडित कोई गैर नहीं है। ये कश्मीरी पंडित हमारी कौम है, हमारा खून है, हमारी नस्ल है। यहां तो जानवर भी अपने नस्ल को नहीं मारते…..कम से कम आज तो हम में गैरत होनी चाहिए। जो हमारे वालिद साहब की जनरेशन ने गलतियां कीं।…मुझे कबूल करना है कि गलतियां हुई हैं, गुनाह हुए हैं….और जिसके लिए हमें असलियत में कश्मीरी पंडितों से जो हमारा खून है, हमारा हिस्सा है, उनसे हाथ जोड़कर माफी मांगनी चाहिए।’