कामचोरी और उस पर सीनाजोरी—- कर्मचारी को काम करने का बोला तो उसने अफसर को ही दे डाली धमकी

मारपीट पर हुआ उतारू, मामला उज्जैन एमपीईबी का

 

उज्जैन। एमपीईबी लैब, शंकरपुर में पदस्थ अंशुल कारपेंटर नामक कर्मचारी को जब सहायक यंत्री श्री अजित लाल द्वारा दैनिक कार्य की प्रगति के लिए बुलाया गया ,तो पहले उसने अधिकारी के पास जाने से मना कर दिया। उसके बाद जब श्री लाल द्वारा जनता के हित में बात की गई तो कर्मचारी चिढ़ गया। अधिकारी को धमकी तथा गाली गलोज देने पर उतारू हो गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार जब अधिकारी ने कर्मचारी को बाहर जाने का कहा तो वह टेबल पर हाथ पटक कर बोला कि मैं तो यहीं बैठूंगा, तूझे जो करना हो कर लेना। मैं तो नहीं जा रहा बाहर। गुस्से मे उसको ध्यान नहीं रहा और यह सारा वाक़या वहाँ लगे सीसीटीवी कैमरा में कैद हो गया। दरअसल, डीपी को ग्रामीण क्षेत्रों में भेजने के पहले टेस्टिंग के लिए लैब में भेजा जाता है।

 

गर्मी के सीजन में ग्रामीण क्षेत्रों में डीपी की अत्याधिक आवश्यकता पड़ती है। उज्जैन स्थित लैब में रतलाम, उज्जैन, मंदसौर आदि जिलों से डीपी टेस्टिंग हेतु आतें है तथा समय से डीपी टेस्ट नहीं होने की स्थिति में जनता को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। इस परिस्थिति में व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सहायक यंत्री श्री अजित लाल तत्परता से काम कर रहे थे। गत दिन डीपी की अधिकता होने के कारण जब श्री लाल द्वारा समस्त कर्मचारी को मिलकर इस दिशा मे कार्य करने को बोला गया तो कामचोर कर्मचारी को यह इतना बुरा लगा कि उसने अधिकारी को ही दे डाली धमकी।

 

श्री अजित लाल से इस सन्दर्भ मे पूछे जाने पर उन्होंने ज्यादा कुछ न बोलते हुए बस इतना बताया कि अंशुल कारपेंटर द्वारा उनसे अशिष्टता की जाती रही है, जोकि मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के विरुद्ध है। उनके द्वारा व्यक्तिगत टीका टिपण्णी की जाती है। भ्रामक कथन दिये जाते रहे हैं । जिससे कि कार्यालयीन सौहार्द एवं वातावरण अनावश्यक रूप से दूषित होता है । उन्होंने इस घटना की जानकारी उच्च अधिकारी को पत्र के माध्यम से दे दी है। प्रबंधन इस सम्बंध में जो भी आदेश देगा उसका वो पालन करेंगे।

 

विभाग में ही लोग आपस में चर्चा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में जब कामचोर कर्मचारी जनता की बात करने वाले अधिकारियों को ही जब इस तरह डराने धमकाने! का काम करेंगे और सम्मान नहीं देंगे तो ऐसे कर्मचारी जनता की क्या सुनवाई करेंगे। अतः ऐसे कर्मचारियों के विरुद्ध समाजहित व कानूत मे कार्रवाई होनी चाहिए।