ईंट भट्टों में सुलग रहा जंगल, पेडों की भी अवैध कटाई

सारंगपुर। ईंट भट्टों में जंगल सुलग रहा है। ईंट को पकाने के लिए पेडों की अवैध कटाई की जा रही है। वहीं पर्यावरण को भी क्षति पहुंच रही है। विडंबना यह है कि नियमों को ताक में रखकर ईंट भट्टों का संचालन किया जा रहा है। मामला सारंगपुर क्षेत्र के अलग-अलग क्षेत्रों का है। बावजूद इसके अवैध ईंट भट्टा संचालन के मामले में कार्रवाई शून्य है।
जानकारी के अनुसार शहर में बडी संख्या में अवैध रुप से ईंट भट्टों का संचालन हो रहा है। यह कारोबार काफी दिनों से फल-फूल रहा है। बावजूद इसके इन पर अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। जिसके कारण ईंट भट्टा संचालकों के हौंसले बुलंद है। शहर के किनारे पर कई ईंट भट्टे ऐसे हैं, जिनके पास न तो प्रशासन की अनुमति है और न ही खनिज विभाग से लीज ली गई है। इतना ही नहीं नगर पालिका की अनुमित भी नहीं ली जाती है। बावजूद इसके न तो ईंट भट्टों पर कार्रवाई हो पा रही है और न ही उनके संचालकों पर। संचालक बेखौफ होकर ईंट भट्टों का व्यापार कर रहे हैं। जिससे शासन को भी आर्थिक क्षति हो रही है।
जंगलों के पास संचालित हो रहे हैं भट्टे
शहर में अधिकांश ईंट भट्टों का संचालन जंगल के पास किया जा रहा है। दरअसल, भट्टा संचालकों को ईंटों को पकाने के लिए लकडियों की आवश्यकता होती है। जिसके चलते संचालक पेडों की कटाई भी करते हैं। जंगल के किनारे होने के चलते इन पर कार्रवाई भी कम होती है। जिसका फायदा ईंट भट्टा संचालक उठा रहे हैं।
पर्यावरण को पहुंचा रहे नुकसान
ईंटों को पकाने के लिए जहां पेडों की अवैध कटाई की जाती है। वहीं मिट्टी, पानी का भी अवैध दोहन किया जाता है। मिट्टी के खनन से जमीन खोखली हो रही है। इन दोनों ही मामलों से पर्यावरण को क्षति हो रही है। बावजूद इसके राजस्व, खनिज और वन विभाग इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। जिसके कारण समस्या जस की तस बनी हुई है।
इन क्षेत्रों में अधिक हैं ईंट भट्टे
वैसे तो सभी क्षेत्रों में ईंट भट्टों का संचालन हो रहा है। लेकिन सबसे अधिक पाडल्या रोड, आगर नाका, जय नगर सहित नदी किनारे सहित इनसे सटे हुए क्षेत्रों में ईंट भट्टों का संचालन हो रहा है।
दूसरे जिलों में भी हो रही सप्लाई
शहर में तैयार किए गए ईंटों की आगर, शाजापुर जिलों में भी सप्लाई की जा रही है। जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में संचालित ईंट भट्टों से इसका परिवहन किया जाता है। यह कारोबार काफी दिनों से फल फूल रहा है।