खाली रहे श्मसान और विशेष देव तांत्रिक स्थल

– लोकसभा चुनाव में देव स्थलों पर तंत्र क्रिया के लिए कोई नहीं आया

 

उज्जैन। चुनाव हों और उज्जैन के श्मसान में तंत्र साधना न हो ऐसा संभवत: पहली बार देखा गया है। इसी तरह से क्षेत्रीय देव स्थलों पर भी इस चुनाव में तंत्र क्रिया न तो देखी गई और न ही सूनी गई है। यहां तक की क्षेत्र के विशेष देव स्थलों पर भी किसी प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं का जोर ही देखा और सूना गया है।

इस बार के चुनाव में यह खास तौर पर देखा गया है कि उज्जैन के प्रसिद्ध श्मसान में अमावस्या के विशेष योग के बाद भी कोई तांत्रिक क्रिया की गई और न ही किसी तांत्रिक ने सत्ताधारी और विपक्ष के लिए किसी प्रकार का तांत्रिक अनुष्ठान ही किया है। यहां तक की श्री महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले विशिष्ठजन भी आए और दर्शन कर चले गए । उन्होंने यहां न तो किसी प्रकार के अनुष्ठान में भाग लिया न ही शहर के ही किसी अन्य स्थान पर किसी धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान में उनके पहुंचने की सूचना ही रही।

पूर्व में श्मसान में होती रही हैं क्रियाएं-

इससे पूर्व नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में उज्जैन के चक्रतीर्थ श्मसान में तांत्रिक क्रियाएं विशेष योग में किए जाने की जानकारी बराबर सामने आई थी। महाकाल में भी विशेष अनुष्ठान की जानकारी रही है। पूर्व के अनेक चुनावों में कई प्रसिद्ध तांत्रिक उज्जैन के श्मसान में क्रियाएं करने आते रहे हैं। इनकी क्रियाओं का समय अमावस्या का योग जरूर होता रहा है। ऐसा पहली बार ही देखने में रहा कि बुधवार को अमावस्या पर भी श्मसान में कोई तांत्रिक क्रिया करने नहीं पहुंचा था। इसके अतिरिक्त उज्जैन में ही कालभैरव एवं विक्रांत भैरव क्षेत्र में भी विशेष तांत्रिक अनुष्ठान किए जाते हैं लेकिन यहां भी किसी प्रकार के विशेष तांत्रिक अनुष्ठान नहीं देखे और सूने गए हैं।

बगलामुखी में भी रहा सूना-सूना-

उज्जैन के श्मसान के साथ ही प्रतिद्ध तंत्र स्थली आगर मालवा जिला के नलखेडा स्थित बगलामुखी माता मंदिर पर भी लोकसभा निर्वाचन 24 में किसी प्रकार के ऐसे अनुष्ठान की जानकारी सामने नहीं आ रही है। यहां आने वाले कई वरिष्ठ नेताओं ने माता के दर्शन जरूर किए और वे जनसंपर्क के बाद रवाना हो गए। नलखेडा राजगढ संसदीय क्षेत्र में आता है। यहां शत्रुनाशक अनुष्ठान किए जाते रहे हैं। इस बार यहां पूरी तरह से ही इस प्रकार के अनुष्ठान ठंडे पडे रहे हैं। सामान्यजनों का यहां आना जाना लगा रहता है और प्रतिदिन संध्या काल के उपरांत रात्रि में यहां अनुष्ठान में आहुतियां दी जाती है।