जीवन में शांति प्राप्त करने के लिए ही हम सभी परमात्मा के चरणों में पहुंचते हैं- मुनि श्री पुण्यसागर महाराज

बड़नगर। मंदिर में आकर हम प्रतिदिन धर्म की आराधना, उपासना, साधना किया करते हैं। मंदिर में आने का हमारा मकसद यही है कि हम अपने जीवन में अशांत है, चारो ओर वातावरण प्रदूषित दिखाई दे रहा है। हमारे घर के अंदर का वातावरण भी मंगलकारी नहीं है।जहां निरंतर टेलीविजन की गूंज, मोबाइल की घंटियां सुनाई देती है और विषय कसायों का वातावरण दिखाई देता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति का मानस अशांत बना हुआ है।
जीवन में शांति प्राप्त करने के लिए ही हम सभी परमात्मा के चरणों में पहुंचते हैं कि थोड़ी देर उनके चरणों में बैठकर अपने जीवन में शांति प्राप्त कर ले। इस भावना को लेकर के हम परमात्मा के मंदिर में आते है बाकी हमारा अन्य कोई उद्देश्य नहीं है। जब हम परमात्मा की मुख मुद्रा के दर्शन करते है तो वहां पर एक अभूतपूर्व शांति हमें अपने जीवन के अंदर मिला करती है। वैसे तो सवेरे उठ कर हम ना जाने कितने व्यक्तियों का चेहरा देखते हैं लेकिन जितने चेहरे देखने में आते हैं सब के सब उदास और दुखी दिखाई होते है ।दुनिया में मात्र दो चेहरे एक तो परमात्मा का मुख और दूसरा हमारे साधु संतों का मुख जो सदा प्रसन्न मुद्रा में देखने को मिलते है और जिसे देखने से अलग ही शांति मिलती है।
यह बात परम पूज्य मुनि श्री 108 पुण्यसागर महाराज ने शनिवार को महाराणा प्रताप चोक स्थित श्री शांतिनाथ भगवान के मंदिर में धर्मसभा में प्रवचन के रूप में कही। मुनिश्री ने आगे कहा कि 24 वर्ष पूर्व आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के साथ बड़नगर में आना हुआ था। आज पुन: यहां के अति प्राचीन भव्य जैन मंदिरों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। बड़नगर समाज धार्मिक समाज है। बडनगर का नाम जैसा सुना है वैसा ही आज देख भी लिया है।