इंदौर की स्‍वच्‍छता पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा- मच्‍छरों की भरमार से बढ़ा बीमारियों का खतरा

 

शहर के कई इलाकों में चैंबर लाइन चौक, नर्मदा के नलों में आ रहा गंदा पानी
19 जोनों में दो-दो फाग मशीनें, जिसमें से आधी से अधिक खराब

इंदौर। शहर में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनियां, जापानी बुखार जैसी गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा मंडराते जा रहा है। मच्छरों के दिन प्रतिदिन बढ़ते प्रकोप से शहर के नागरिक हलकान हो रहे हैं। वहीं इंदौर का स्वास्थ्य अमला और नगर निगम इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
यह आरोप लगाते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राजेश चौकसे एवं प्रवक्ता अमित चौरसिया ने इंदौर नगर निगम एवं स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि स्वच्छता में सात बार इंदौर शहर के प्रथम आने के बाद भी समस्याएं यथावत बनी हुई हैं।

कई इलाकों में नहीं आ रही कचरा गाड़ी

इंदौर शहर की कई चैंबर लाइन पूरी तरीके से चौंक पड़ी हुई है। महात्मा गांधी मार्ग आरएनटी मार्ग छावनी, उषागंज, साउथ तुकोगंज,सहित कई इलाकों में नर्मदा के नल में गंदा पानी आ रहा है। वहीं कई इलाकों में कचरा गाड़ियां आना बंद हो गई है। पूरा शहर मच्छरों के प्रकोप से पीड़ित है।

मच्छरों से निजात पाने के लिए अमला कम

इस गंभीर विषय पर पिछले दिनों हुए टाक शो में यह बात खुद निगम और स्वास्थ्य अधिकारियों ने कबूल की थी कि 45 लाख की आबादी में मलेरिया विभाग के 35 और इंदौर नगर निगम के 25 कर्मचारी मच्छरों की समस्या से निजात पाने के लिए जुटे हुए हैं। लेकिन आबादी के मान से यह संख्या कम है। मच्छरों से मुक़ाबला करने के लिए फाग मशीन या दवाएं कारगार साबित नहीं हो पा रही है, बल्कि नागरिकों की जागरूकता से ही इस समस्या से मुक़ाबला किया जा सकता है।

करोड़ों रुपये के बजट का क्या मतलब

इस पर नेताद्वय ने कटाक्ष करते हुए महापौर पुष्पमित्र भार्गव से पूछा है कि जब मच्छरों के प्रकोप से जनता को जागरूक होकर खुद ही निपटना है तो फिर नगर निगम और स्वास्थ्य हमले को दिए जाने वाला करोड़ों रुपये के बजट का क्या मतलब है। मच्छरों के प्रकोपों को कम करने के लिए दवाइयां का छिड़काव तो छोड़िए 19 जोनों में दी गई दो-दो फाग मशीने हैं, जिसमें से आधी से अधिक खराब पड़ी हुई है।