महाकाल के मलबे से निकली 1 हजार  साल पुरानी मूर्तियां कॉलोनी में मिली

उज्जैन। महाकाल मंदिर क्षेत्र में विस्तारीकरण के दौरान खुदाई में पत्थर की कई प्राचीन मूर्तियां निकली थी। इनमें से एक नंदी की मूर्ति इंदौर रोड पर स्थित तिरुपति प्राइड कॉलोनी में मिली। बड़ा सवाल यह है कि महाकाल मंदिर के मलबे से निकली यह मूर्ति आखिर कॉलोनी तक कैसे पहुंच गई।

नंदी की प्राचीन मूर्ति व शिखर का हिस्सा आखिर वहां तक कैसे पहुंची, ये बड़ा सवाल…पुरात्तव विभाग कर रहा इस मामले की जांच पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी…

इस घटना की जानकारी मिलने के बाद पुरातत्व विभाग की ने मौके पर जाकर जांच शुरू की थी। हालांकि यह मूर्ति खंडित है। लेकिन अति प्राचीन बताई जाती है जो कि पुराने समय के मंदिर की स्थापत्य कला का प्रमाण है। पुरातत्व विभाग ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह संदेह तो बता दिया कि महाकाल मंदिर क्षेत्र से आने वाले मलबे को यहां डाला गया होगा। इसी मलबे में यह मूर्ति गलती से आ गई हो या फिर जानबूझकर लाई गई हो।  इसके बाद अब उन जिम्मेदार लोगों से ये सवाल है कि महाकाल मंदिर से मलबा क्या देखकर नहीं फैका गया या जानबूझकर मूर्ति रवाना की गई हो। जबकि खुदाई में निकली सभी मूर्तियों को सुरक्षित रखने के आदेश शासन-प्रशासन के पहले से ही है।

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महाकाल मंदिर विस्तारीकरण योजना के तहत मंदिर परिसर में खुदाई के बाद निर्माण कार्य किया जाना था। जब कॉलोनी में काम शुरू हुआ था तो यहां से नंदी की 10 वीं-11वीं शताब्दी की खंडित प्रतिमा व मंदिर के शिखर का एक भाग मिला था। प्राचीन मूर्तियां मिलने के बाद यहां का काम तो रोककर अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा तो बना दिया था। लेकिन संंबंधित जिम्मेदार लोगों पर इस बड़ी लापरवाही पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।