आलोट विधानसभा त्रिकोणी मुकाबला..कौन बनेगा बाजीगर

आलोट- रतलाम जिले की आलोट विधानसभा भाजपा की परंपरागत सीट रही है इसके बावजूद यहां से 2018 के चुनाव में कांग्रेस के मनोज चांवला ने विधायक जितेंद्र गहलोत को पराजित कर जीत दर्ज करवाई थी, कांग्रेस ने एक बार पुनः मनोज चावला पर ही विश्वास जताया हैं, वही भारतीय जनता पार्टी ने उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र के पूर्व सांसद चिंतामणि मालवी को मैदान में उतारा है वहीं कांग्रेस से टिकट नहीं मिल पाने पर प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस के बागी उम्मीदवार होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में है। इनके अलावा अन्य छ: उम्मीदवार और मैदान में है
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे दोनों ही पार्टी के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी अपने-अपने समर्थकों के साथ जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं।

आलोट विधानसभा क्षेत्र में चुनावी रंग परवान चढ़ गया है भाजपा एवं कांग्रेस के अलावा यहां इस बार निर्दलीय प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू के चुनाव लड़ने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है ।
भाजपा शिवराज सरकार के विकास कार्य एवं लाडली बहना योजना को कर रही है फोकस

भाजपा से चिंतामणि मालवीय के साथ-साथ पूरा संगठन एकजुट होकर कार्य कर रहा है मालवीय सुबह से ही जनसंपर्क पर निकल जाते हैं जहां उन्हें लोगों का भरपूर समर्थन भी मिल रहा है तो भाजपा से नाराज हुए एक गुटके कार्यकर्ता भी अब धीरे-धीरे उनके समर्थन में प्रचार करते दिख रहे हैं। वहीं विधायक मनोज चावला अपने 5 वर्षों के कामकाज एवं व्यक्तिगत व्यवहार को आधार बनाकर चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं , अपने कार्यकाल में चावल क्षेत्र के लोगों के बीच सुख-दुख के हर कामकाज में पहुंचे हैं जिससे उन्होंने लोगों के बीच अपनी पहचान भी बना कर रखी जिससे उन्हें अब चुनाव के समय ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है चांवला को जनसंपर्क के दौरान लोगों का स्नेह भी देखने को मिल रहा है साथ ही इस चुनाव में बाहरी एवं स्थानीय का मुद्दा फिर जोर पकड़ रहा है।

वहीं कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं पूर्व सांसद जिन्हें इस बार भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में है उल्लेखनीय है कि 2018 के चुनाव में भी प्रेमचंद गुड्डू ने आलोट विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी का टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने मनोज चांवला को टिकट दिया था जिससे नाराज होकर गुड्डू ने भाजपा का दामन धाम लिया था एवं मात्र डेढ़ वर्ष बाद ही वह गुड्डू कांग्रेस में आ गए थे।

प्रेम चंद गुड्डू आलोट विधानसभा से 2003 में विधायक एवं आलोट उज्जैन संसदीय क्षेत्र से 2009 में सांसद चुन कर गए हैं , काम करने की उनकी अपनी शैली की वजह से लोगों के बीच उनकी पकड़ है इसी वजह से आज भी निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों को टक्कर दे रहे हैं ।आलोट विधानसभा सीट अजा के लिए सुरक्षित है इस वजह से यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर उम्मीदवारों का फोकस अधिक रहता है इसके अलावा भाजपा इस बार शिवराज सिंह चौहान सरकार के द्वारा प्रदेश में किए गए विकास कार्यों एवं लाडली बहन योजना को आधार बनाकर वोट मांग रही है।

इस सबके बीच मतदाता अभी भी मौन है किसी के भी लिए अभी तक क्षेत्र में एक लहर नहीं चल पा रही है जिससे स्पष्ट रुझान निकाल कर आप आना मुश्किल है साथ ही किसान खेती-बाड़ी के कार्य में व्यस्त है वहीं व्यापारी वर्ग दीपावली के कामकाज में लगे हुए हैं।

आलोट से निलेश जाॅंगलवा की रिपोर्ट