शहर में पहली बार बो-स्टिंग तकनीक से किया जाएगा फ्लाईओवरों का निर्माण

दैनिक अवंतिका(इंदौर) शहर में पहली बार देवास नाका, मूसाखेड़ी और आईटी पार्क चौराहे पर बनने वाले फ्लाईओवरों का निर्माण बो स्टिंग तकनीक से किया जाएगा, जिससे चौराहों पर कहीं भी पिलर यातायात में बाधक नहीं बनेंगे। इसके लिए इन तीनों चौराहों पर जमीन के नीचे का सर्वे शुरू कर दिया गया है। दरअसल, सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) महानगर में देवास नाका, मूसाखेड़ी और आईटी पार्क चौराहे पर फ्लाईओवर का निर्माण करने जा रहा है। बड़े चौराहों पर अक्सर फ्लाइओवर के पिलर यातायात 1 में बाधा उत्पन्न करते हैं। इसी के मद्देनजर शहर में पहली बार चौराहों को पिलर से मुक्त रखने के लिए वो स्टिंग तकनीक का इस्तेमाल कर फ्लाई ओवर के निर्माण का निर्णय लिया गया है।क्या है इस तकनीक का फायदा…सामान्य रूप से फ्लाई ओवर में 35 मीटर की दूरी पर पिलर्स देने पड़ते हैं, किन्तु वो स्टिंग तकनीक से फ्लाईओवर बनाए जाने के लिए चौराहे के 75 मीटर के हिस्से में स्टील की गर्डर डाली जाती है और उसकी डिजाइन भी धनुषाकार होती है। मतलब कई हिस्सों में फ्लाईओवर के भार को बांट दिया जाता है। इससे पहले शहर में जितने भी फ्लाटओवर बने उनमें 35 मीटर की दूरी पर पिलर खड़े होने से यातायात में बाधा उत्पन्न होती है। बंगाली चौराहे पर इसी प्रकार की समस्याएं की वजह से बाद में ब्रिज की डिजाइन में बदलाव कर निर्माण किया गया था। यातायात में बाधक बनने वाली इन पिलर्स की दिक्कतों को देखते हुए अब देवास नाका, मूसाखेडी और आईटी पार्क चौराहे पर बनने वाले फ्लाइओवर में बोस्टिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। तीनों चौराहों पर फ्लाईओवर निर्माण के लिए टेंडर हो चुके हैं और जमीन के अंदर मिट्टी का सर्वे भी शुरू हो गया है। दो माह में सर्वे रिपोर्ट पेश करनी है। इसके बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। निर्माण करने वाली कंपनियों को फ्लाई ओवर निर्माण के लिए 30 सितंबर 2025 तक का समय दिया गया है।