रामघाट पर श्रद्धालुओं के नहान पर लगाई गई रोक, छोटे पुल से ऊपर शिप्रा, गंभीर डेम 1298 एमसीएफटी

– रात 3 बजे से सुबह 6 बजे तक 75 मिमी. बारिश, अब तक 18 इंच

उज्जैन। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में लगातार बन रहे चक्रवात की वजह से मानसून का रंग पूरी तरह से दिखाई दे रहा है। बाबा महाकाल की नगरी में शिप्रा नदी छोटे पुल से ऊपर पहुंच चुकी है। मंगलवार बुधवार तक 3 बजे से सुबह 6 बजे तक 75 मिलीमीटर बारिश से पूरा शहर जलमग्न दिखाई दिया। सुरक्षा की दृष्टि से शिप्रा नदी रामघाट पर सुबह श्रद्धालुओं के नहान पर रोक लगा दी गई थी।

श्रावण मास में मानसून झमाझम तरीके से बरस रहा है। मंगलवार शाम 4 से 5 बजे तक हुई सवा इंच बारिश के बाद रात 3 बजे से बुधवार सुबह 6 बजे तक 3 इंच बारिश दर्ज की गई इस बीच 14 घंटे में 4 इंच से अधिक बारिश दर्ज होना सामने आई है। उज्जैन के साथ ही इंदौर देवास में भी बारिश का सिलसिला जारी है जिसके चलते शिप्रा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। सुबह शिप्रा नदी छोटे पुल से ऊपर जा पहुंची थी। रामघाट पर बने मंदिर पानी में डूबे नजर आ रहे थे। प्रशासन उन्हें बढ़ते जलस्तर को देखते हुए रामघाट पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को रोकना शुरू कर दिया था। दिनभर होमगार्ड और एनडीईआरएफ की टीम शिप्रा के सभी घाटों पर पेट्रोलिंग करती रही और श्रद्धालुओं को घाटों से दूर किया जाता रहा। छोटे पुल पर आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। पिछले 10 दिनों में दूसरी बार शिप्रा में उफान दिखाई दिया है। जिस तरह से मानसून की सक्रियता बनी हुई है उससे प्रतीत हो रहा है कि जल्द ही शिप्रा में बाढ़ का नजारा भी दिखाई देगा। मौसम विभाग ने तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है।

रात में रामघाट से हटाई गई दुकाने
मंगलवार शाम हुई सवा इंच बारिश के बाद ही शिप्रा का जलस्तर बढ़ाना शुरू हो गया था। रात में 10 बजे रामघाट पर लगने वाली 40 से 50 दुकाने और ठेलों को हटाने का काम शुरू कर दिया गया था। सुबह घाट पूरी तरह से खाली नजर आ रहा था। भक्ति भंडार की दुकान संचालित करने वाले सोनू ने बताया कि नुकसान से बचने के लिए अपनी दुकानों को नव दुर्गा मंदिर के समीप लाकर रखा गया है। प्रतिवर्ष जलस्तर बढ़ने पर दुकानें हटाई जाती है। श्रावण मास के चलते रामघाट पर बैरिकेट्स रखे हुए हैं जो पानी में 3 फीट तक डूबते दिखाई दे रहे हैं। रामघाट दत्त अखाड़ा के साथ प्रशासन द्वारा भूखी माता घाट, नरसिंह घाट, गऊघाट, त्रिवेणी शनि मंदिर घाट के आसपास भी बढ़ते जल स्तर पर नजर रखी जा रही है। शिप्रा नदी में तैराकी करने वालों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

अब प्रतिदिन जलप्रदाय की उम्मीद
शहर की जलापूर्ति के लिए 1992 में गंभीर डेम का निर्माण किया गया था। जिसकी क्षमता 2250 एमसीएफटी रखी गई थी। 31 वर्षों से पूरे शहर में गंभीर डेम से ही जल प्रदाय किया जा रहा है। मई अप्रैल की गर्मी के बाद डेम का स्तर काफी कम हो गया था जिसके बाद नगर निगम पीएचई ने 1 दिन छोड़कर जल प्रदाय शुरू किया था। लगातार हो रही बारिश के बाद गंभीर में तेजी के साथ पानी की आवक हो रही है। बुधवार शाम तक 1298 एमसीएफटी पानी संग्रहित हो चुका था। जो अपनी क्षमता को आधे से ज्यादा पार कर चुका है। जिसके चलते अब प्रतिदिन जल प्रदाय की उम्मीद बन गई है। संभावना है कि एक-दो दिन बाद नगर निगम रोज पानी की सप्लाई का निर्णय ले सकती है। इस बार नगर निगम ने गंभीर डेम से सैकड़ों ट्राली गाद निकालने का काम भी किया था जिससे डेम का गहरीकरण भी हुआ है।

निचली बस्तियों में जलभराव के हालात
मंगलवार शाम से बुधवार सुबह तक हुई 4 इंच से अधिक बारिश के बाद निचली बस्तियों में जलभराव के हालात बन गए हैं। गदा पुलिया हनुमान नाका क्षेत्र में बनी कई कालोनियों के घरों में पानी पहुंच गया था। नए शहर की पॉश कॉलोनियों में भी जलजमाव की स्थिति दिखाई दे रही थी। नई सड़क, लाल मस्जिद चौराहा, इंदौरगेट ढाबा रोड मार्ग जलमग्न हो चुका था। दिन में बारिश थमने के बाद इन मार्गों पर हालात सामान्य हुए थे। नगर निगम की टीम कई क्षेत्रों में जलभराव की सूचना मिलने पर पानी निकासी के लिए पहुंची थी।

तापमान में नहीं आई कमी
श्रावण मास की शुरुआत होने के बाद से लगातार बारिश का सिलसिला बना हुआ है। शहर की औसतन बारिश का आंकड़ा 36 इंच है जो 15 जून से अब तक 18 इंच पहुंच चुका है। बावजूद इसके तापमान में कमी नहीं आई है। जीवाजीराव वेधशाला के अनुसार न्यूनतम तापमान 24 डिग्री के आसपास बना हुआ है वहीं अधिकतम तापमान 29-30 डिग्री के आसपास बना हुआ है। बारिश होने पर मौसम में ठंडक महसूस की जा रही है लेकिन बारिश थमने के बाद उमस का माहौल बना हुआ है। वेधशाला अधीक्षक डॉ राजेंद्र कुमार गुप्ता अनुसार वर्षा काल सितंबर माह तक का है इस बीच मौसम में पूरी तरह से ठंडक भी आएगी और औसतन आंकड़ा भी पूरा हो जाएगा।