इसलिए नहीं कि मैं ब्राह्मण हूं..!

ब्रह्मास्त्र विशेष

आ रही है आईएएस अफसर नियाज खान की पुस्तक “द ग्रेट ब्राह्मण”

— योगेंद्र जोशी

इसलिए नहीं कि मैं ( योगेंद्र जोशी ) ब्राह्मण हूं, इसलिए यह लिख रहा हूं। परंतु, जो सच है उसे झुठलाया नहीं जा सकता। आंख बंद कर कर लेने से दुनिया की सच्चाई दिखाई भले ही न दे, लेकिन समाप्त नहीं हो जाती। उसका अस्तित्व तो बरकरार रहता है। आज ब्राह्मणों को गालियां देने का एक चलन सा दिखाई दे रहा है। लोगों को लगता है कि वह ब्राह्मणों को गालियां देकर ,उन्हें नीचा दिखाकर, उन्हें अपमानित करके अपनी स्वार्थ सिद्धि कर सकते हैं। यह हो रहा है। लेकिन, इस व्यवस्था को कहीं न कहीं आईना दिखाती मध्यप्रदेश के एक आईएएस अफसर की पुस्तक “द ग्रेट ब्राह्मण” इन दिनों चर्चा में है। यदि यह पुस्तक किसी ब्राह्मण ने लिखी होती तो उस पर न जाने कितने आरोप लग जाते। देशहित, समाजहित, साहित्यहित, धर्महित और वेदों से लेकर अब तक महान ग्रंथों को सहेजने, उन्हें संरक्षित रखने वाले, अपने ज्ञान से भारत को विश्व गुरु बनाने वाले ब्राह्मणों की महिमा का बखान करती यह पुस्तक एक मुस्लिम आईएएस अफसर ने लिखी है। मध्य प्रदेश के आईएएस अधिकारी नियाज खान की नई किताब अभी आई नहीं है। उसका कवर पेज जरूर जारी कर दिया गया है। पुस्तक के लेखक आईएएस नियाज खान की इच्छा है कि वे इसका विमोचन किसी शंकराचार्य से करवाएं। द ग्रेट ब्राह्मण नामक पुस्तक के बारे में बताया जा रहा है कि अफसर नियाज खान ने ब्राह्मणों को देश में सबसे बुद्धिमान बताते हुए उन्हें सभी महत्वपूर्ण संस्थानों में बैठाने की बात कही है। उनका मानना है कि ब्राह्मण जीनियस हैं। बजरंग दल को उन्होंने नैतिक पुलिस का दर्जा देने का सुझाव भी दिया है। नियाज खान भी कहते हैं और यह बात तो कई साहित्यकार भी मानते हैं कि जब साहित्य लिखा जाता है तो उस साहित्य के बारे में कौन क्या कहेगा, यदि यह सोच लिया जाए तो साहित्यकार साहित्य की रचना ही नहीं कर पाएगा। उसे तथ्य और तर्क में जो उचित लगा, उसे जो अच्छा लगा वह लिखा। साहित्य क्रांति के दूत भी हैं। इसलिए संभव है कि नियाज खान की यह पुस्तक भी एक नई क्रांति को जन्म दे। हालांकि, पुस्तक में और क्या है, यह तो अभी नहीं कहा जा सकता। कौटिल्य, चाणक्य जैसे महान विद्वान जिनकी गाथा हजारों वर्षों बाद आज भी गाई जा रही है ,ऐसे महाविद्वानों और विभिन्न परिस्थितियों को लेकर खान साहब ने इस साहित्य की रचना की है। उन्होंने कहा है कि मैं कौटिल्य, चाणक्य से बेहद प्रभावित हूं। ब्राह्मणों के संघर्ष को भी उन्होंने इस पुस्तक में समाहित किया है। दरअसल, आज के वक्त ब्राह्मणों को गालियां दिए जाने से उनके पांडित्य और राष्ट्र तथा समाज के हित में किए गए उनके कार्य कहीं छुप से गए हैं। सभी वर्ग महान है और सभी का अपना -अपना योगदान है, लेकिन राजनीति ने सत्ता की खातिर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए ब्राह्मण वर्ग को अपमानित कर वोट कबाड़ने की अनैतिक करतूतें की हैं। आज भी यह जारी है। मेरा मानना है कि ब्राह्मणों पर उंगली उठाने के पहले ठंडे दिमाग से विचार करेंगे तो संघर्ष के कई सच सामने आ जाएंगे। एक मुस्लिम अफसर की पुस्तक समाज को क्या आईना दिखाएगी? इसके लिए फिलहाल हमें इंतजार ही करना होगा। तो इंतजार कीजिए मार्च तक।

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