April 27, 2024

उज्जैन। 2020-21 में हाहाकार मचाने वाला कोरोना अब थम गया है। अस्पतालों में संक्रमण की जांच होना भी बंद हो चुकी है। अब सर्दी-जुखाम, बुखार आने या सांस लेने में परेशानी होने पर बिना जांच के उपचार किया जा रहा है।
मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण की शुरूआत जानसपुरा से हुई थी, जिसमें एक महिला की मौत हुई थी जो प्रदेश में कोरोना संक्रमण से मरने वाली पहली महिला थी। उसके बाद ऐसा हाहाकार मचा था कि लाकडाउन लगना पड़ गया था। संक्रमण का खतरा ऐसा बढ़ा कि अस्पतालों में मरीजों को जगह नहीं मिल पा रही थी। दूसरी मौत नीलगंगा क्षेत्र में होना सामने आई। डर-दहशत का माहौल बढ़ता गया और लोगों ने अपनों से भी दूरी बनाना शुरू कर दिया था। पुलिस और प्रशासन दिन रात सड़को पर लोगों संक्रमण से बचाने के लिये सेनेटाईज लट्ठ चलाने लगी थी। तीन माह तक लोग घरों में कैद रहे। उद्योग धंधे, रोजगार सब चौपट हो गया। पूरा देश कोरोना की चपेट में आ चुका था। हालत सामान्य होने पर राहत महसूस की जाने लगी, लेकिन 2021 में कोरोना से सबसे बड़ा हाहाकार मचाया, संक्रमण से पीड़ित लोगों की अस्पताल पहुंचते ही मौत होने लगी थी। लाशों का अम्बार ऐसा लगा कि शमशान-कब्रिस्तान में जगह मिलना मुश्किल हो गया था। अब हालत पूरी तरह से बदल चुके है। जिला ही नहीं पूरा प्रदेश कोरोना से मुक्त हो चुका है। उज्जैन में सितंबर 2022 से ही संक्रमण की जांच होना काफी कम हो गई थी। अब सर्दी-जुखाम और बुखार आने पर लोग जांच के लिये नहीं पहुंच रहे है। शासकीय अस्पताल से लेकर निजी अस्पतालों में भी संक्रमण से संदिग्ध मान जांच करना बंद कर दिया गया। लेकिन स्वास्थ्य विभाग को हेल्थ बुलेटिन अब भी जारी किया जा रहा है। जिसमें ना तो संक्रमित सामने आ रहा है,द ना ही जांच के लिये भेजे जाने वाले सेम्पलों की संख्या। 2 वर्षो में संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या 24573 के साथ ठीक होने वालों की संख्या 24395 के साथ मृतको की संख्या 178 दर्शाई जा रही है।