April 27, 2024

1984 के दंगों का गुनहगार मानता है सिख समाज , ख्यात कीर्तनकार मनप्रीत के विरोध को व्यापक समर्थन

इंदौर। खालसा कॉलेज में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमनलाथ को सरोपा सौंप कर सम्मान करने के मामले में देश के ख्यात कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी द्वारा भरी सभा में इसका कड़ा विरोध करने का मामला मप्र ही नहीं पंजाब, दिल्ली आदि में भी काफी गर्माया हुआ है। सभी जगह सिख समाज ने कीर्तनकार की बात का समर्थन किया है। सिख समाज का एक बड़ा समुदाय 1984 के दंगों का गुनहगार मानते हुए कमलनाथ के खिलाफ तो है ही, वह अपने ही उन समाजजनों के खिलाफ भी है, जिन्होंने दंगों के इस कथित दोषी को सिरोपा भेंट कर सम्मान किया। कमलनाथ के खिलाफ है मामला अब धार्मिक और राजनीतिक दोनों ही रूपों में गर्मा रहा है।

किसी को भी सरोपा दे देना ईशनिंदा जैसा अपराध

कीर्तनकार मनप्रीत सिंह के अनुसार सिख समाज में सरोपा की अहमियत होती है। उसकी आत्मिक वैल्यू है। किसी को भी सरोपा दे देना ईशनिंदा जैसा अपराध है। यह अपराध सरोपा देने वालों ने किया है। सरोपा को खिलवाड़ बनाना अच्छी बात नहीं है। जिसे मर्जी हो उसे सरोपा डाल दिया। उसने थोड़े पैसे दे दिए फिर उसने उसको और उसने उसको सरोपा डाल दिया। गलत है यह।