उज्जैन महापौर प्रत्याशी के लिए भाजपा में दावेदारों का जोर

उज्जैन। नगर निगम चुनाव की घोषणा होते ही अब उम्मीदवारी को लेकर तेजी से राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है। जहां तक महापौर पद की बात करें तो कांग्रेस ने अपना पत्ता लगभग ओपन कर दिया है। उज्जैन महापौर पद के लिए विधायक महेश परमार का नाम तय है, सिर्फ घोषणा होना बाकी है। भाजपा में जरूर लंबी उठापटक चल रही है। यहां पर दावेदारों की संख्या भी ज्यादा है। भाजपा में फिलहाल 5-6 नाम बेहद चर्चा में हैं, परंतु सभी के गणित अपने अपने हिसाब से हैं। फिलहाल जो नाम बहुत अधिक चर्चा में हैं, उन्हें हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं-
रामचंद्र कोरट- वाल्मिकी समाज से आने वाले श्री कोरट भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। पार्टी में उनका कद काफी ऊंचा है। वह कई राष्ट्रीय पदों पर संगठन में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। भाजपा में पुरानी से लेकर नई टीम, मजदूर संगठन और दलित समाज को प्रेरित करने व सहयोग के मामले में वह हमेशा आगे रहे हैं। पार्टी में उनकी पकड़ भी बेहद मजबूती के साथ है। उन्हें भाजपा के वरिष्ठ विधायक तथा पूर्व मंत्री पारस जैन एवं कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं का बेहद करीबी माना जाता है। हालांकि, कोरट के वरिष्ठ से लेकर सामान्य कार्यकर्ताओं तक सीधे संबंध हैं। रामचंद्र कोरट का नाम काफी मजबूती से लिया जा रहा है। कोरट के समर्थकों का मानना है कि वह फूल फ्लैश तैयारी में हैं।
प्रभुलाल जाटवा- उज्जैन महापौर प्रत्याशी के लिए भाजपा में दूसरा नाम बैरवा समाज के प्रभुलाल जाटवा का चल रहा है, परंतु फिलहाल राजनीतिक दलों का बैरवा समाज के प्रति पिछली बार की तुलना में इस बार उज्जैन सीट पर रुझान कम नजर आ रहा है। यदि बैरवा समाज की तरफ रुझान भाजपा का भी कम रहा तो जाटवा को टिकट मिलना मुश्किल हो सकता है।
मदनलाल ललावत – यह नाम भी जाना पहचाना है। ललावत पहले उज्जैन नगर निगम के महापौर रह चुके हैं। महापौर रहते हुए भी और आज भी वे साइकल पर ही घूमते हैं और ग्रामीण परिवेश से आते हैं। वह सरल और सहज हैं लेकिन वह भी बैरवा समाज से ही आते हैं।
सुरेश गिरी- ये भी बैरवा समाज से ही हैं, परंतु यदि बैरवा समाज के प्रति रुझान रहा तो यह भी एक महत्वपूर्ण नाम हो सकता है। भाजपा में भी महामंत्री के पद पर हैं।
राजकुमार जटिया- रविदास समाज से आने वाले राजकुमार जटिया पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा के कद्दावर नेता सत्यनारायण जटिया के पुत्र हैं। इनका नाम भी बेहद सशक्त है। भाजपा में नेता पुत्र को टिकट नहीं देने का मामला यदि रहा तो फिर उनके नाम पर विचार होना संभव नहीं हो पाएगा।