खुसूर-फुसूर खुदाई वाले हैरान,कचरा उठाने वाले मजे में

खुसूर-फुसूर

खुदाई वाले हैरान,कचरा उठाने वाले मजे में

शहर में एक कंपनी जमकर खुदाई का काम कर रही है। अभी तो उसकी मुख्य लाईनें ही डल रही है। उसके बाद उसकी लाईनों से घरों को जोडा जाना शेष है। इस तरह से ये काम बरसों बरस चलने वाला काम है। अभी तो शहर की कालोनियों के आंतरिक भाग में खुदाई का काम करते हुए पाईप लाईन डालने का काम जारी है। इस काम में खुदाई वाली कंपनी हैरान है। रोज कहीं पानी तो कहीं गैस तो कहीं कोई दुसरी पाईप लाईन तोडने जोडने के हाल बन रहे हैं। इस हैरानी में कचरा उठाने वाली कंपनी जमकर मजे मार रही है। जैसे ही किसी कालोनी में खुदाई का काम करने वाली कंपनी की जेसीबी मशीन पहुंचती है और सडक की तुडाई के लिए छेद शुरू होते हैं तो सफाई की गाडी चलाने वाली कंपनी उसी दिन से उस क्षेत्र में अपनी गाडी भेजना बंद कर देती है। क्षेत्र के घरों में कई-कई दिन का कचरा ईकट्ठा होता है फिर नागरिक उसे आसपास के स्थान पर निपटारा करने जाते हैं। घरों से कचरा उठाने के मामले में कंपनी के कंपनी घर के बाहर से डस्टबीन भी उठाकर वाहन में नहीं डालते हैं। कंपनी को एक वाहन पर तीन कर्मचारी लगाना है उसकी जगह मात्र एक या दो कर्मचारी ही वाहन पर चल रहे हैं। अधिकांश क्षेत्र में सिर्फ वाहन चालक ही पहुंच रहा है। शेष दो कर्मचारी के वेतन में कंपनी क्षेत्र और जिम्मेदारों को सेट कर रही है। नागरिक पैसा देकर भी खूद उस काम को अंजाम दे रहे हैं। खुदाई वाले क्षेत्रों में तो महीनों –महीनों वाहन कचरा लेने नहीं पहुंच रहे हैं । नागरिक परेशान हो रहे हैं। मजाल है एक भी जिम्मेदार ने इसके लिए आवाज उठाई हो कंपनी को हडकाया हो। खुसूर-फुसूर है कि कंपनी के ठेके के समय से ही उसके कर्म पर सवाल उठते रहे हैं। कचरा गाडियों में मिट्टी एवं पत्थरों के वजन के प्रकरण को पिछले लंबे समय से जिम्मेदारों ने नहीं देखा है और कंपनी के बिल जिस हिसाब से पास हो रहे हैं वो है ही। सब कुछ गोलमाल के हाल में है तो फिर निचले सिरे पर वाहन के क्षेत्र में कचरा लेने जाने और न जाने का सवाल उठाने की जहमत कौन उठाएगा।

Author: Dainik Awantika