इंदौर में भूमाफिया कर रहे बड़ा खेल : प्रधानमंत्री ,मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति को लगा रहे पतीला

साजिश पूर्वक किया बाटांकन…
पहुंचे थे नियम विरुद्ध सीमांकन और कब्जा करवाने..
सैकड़ो प्लाट धारकों के माथे पर उभरी चिंता की लकीरें …
काम काज छोड़ पहुंचे मौके पर..
अधिकारियों का किया घेराव..
मजबूती के साथ सैकड़ो प्लाट धारकों ने अपना पक्ष रखा… एसडीएम को देना पड़ा यथा स्थिति का आदेश..
भूमाफिया जेसीबी बुलडोजर लेकर पहुंचे थे कब्जा करने…
सैकड़ो गुंडे, बंदूक धारी के साथ पहुंचे थे भूमाफिया
मौके पर कई प्लाट धारक की सदमे के चलते बिगड़ी तबीयत..

इंदौर। में किस तरह से भूमाफिया प्रशासनिक अधिकारियों से साठगांठ कर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति को पलीता लगा रहे हैं.. इसका एक उदाहरण गुरुवार दोपहर इंदौर के लसूडिया मोरी क्षेत्र स्थित प्रिंसेस स्टेट कॉलोनी में देखने को मिला ..यहां सैकड़ो प्लाट धारक जिनमें कई कई महिलाएं भी थी, अपने प्लाट अपने आशियाने की चिंता में मौके पर पहुंचे.. यहां देखा तो भूमाफिया अधिकारियों से गलबयां करते दिखाई दिए.. मौके पर बगैर आसपास के भूखंड धारियों को सूचना दिए सीमांकन कर कब्जे की तैयारी की जा रही थी… भनक लगते ही सैकड़ो की संख्या में पहुंचे प्लाट धारकों ने जब नियम विरुद्ध असवेधानिक तरह से किए जा रहे कार्य का विरोध किया ओर अपना पक्ष रखा तो मौके पर तहसीलदार व एसडीम को पहुंचना पड़ा.. एसडीएम यशवंत धनकर और तहसीलदार ने तमाम प्लाट धारकों से बातचीत कर उनका पक्ष सुना और आखिरकार यह माना कि उनके साथ धोखाधड़ी की जा रही है …एक और जहां कॉलोनाइजर ने उनके साथ धोखाधड़ी की है वहीं दूसरी ओर कतीपए भूमाफिया भी आकर उनका हक छीनना चाहते हैं… अधिकारियों ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए फिलहाल यथा स्थिति रखने के आदेश जारी किए हैं … बता दें कि इस मामले के निपटान के लिए इंदौर के जिलाधीश आशीष सिंह ने एक कमेटी बनाई है ..वह कमेटी कॉलोनी संबंधी सभी मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.. ।

 

बता दें कि पूरा मामला इंदौर के लसूडिया मोरी क्षेत्र स्थित प्रिंसेस स्टेट कॉलोनी का है यह कॉलोनी सन 1996/ 97 में काटी गई थी कॉलोनाइजर महेंद्र कुमार जैन, अरुण डगरिया, शंभूदयाल अग्रवाल यह तीन लोगों ने फैनी कंस्ट्रक्शन कंपनी बना कर यह कॉलोनी काटी थी.. लगभग 90 एकड़ जमीन पर काटी गई इस कालोनी में 1000 प्लॉट काटे गए, जिन्हें वर्ष 1997 से वर्ष 2000 के बीच बेच दिया गया.. कुछ ही प्लॉट शेष बचे थे जिन्हें 2007 तक बेचा जाता रहा… रजिस्ट्री कर सुंदर सुव्यवस्थित कॉलोनी के सब्ज भाग दिखाएं गए और भोले भाले प्लाट धारकों से इन्वेस्ट कर उन्हें सपना बेचे गए.. बाद में लंबे समय तक यहां किसी किस्म का कोई डेवलपमेंट नहीं हुआ और अब 20 साल बाद यहां पर दो-तीन किसान अचानक से प्रकट होकर जमीन को अपनी बताने लगे हैं.. जिनमें कुछ भूमाफिया टाइप लोग हैं जो जमीन को अपना साबित करने का प्रयास कर रहे हैं.. कतिपय लोगों को बीजेपी सरकार के एक प्रभावशाली मंत्री का सरक्षण प्राप्त होना बताया जा रहा है.. साथ ही धनबल के चलते भी प्रशासनिक मशीनरी के प्रभावती होने की बात कहीं जा रही है … प्रशासनिक अधिकारियों के रवेये के चलते भी प्लॉट धारक संदेह प्रकट करते नजर आए.. इस सब की भनक लगने पर जब प्लाट धारकों ने अपनी एकजुटता दिखाकर अनेक दस्तावेजों के साथ अपना पक्ष रखा तो यह साबित होना पाया गया कि वे लोग सही है.. पहले कालोनाइजर ओर फिर अब कतिपय भूमाफिया के द्वारा उनके साथ भूखड़ छीनने की कोशिश की जा रही है.. गौरतलब है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री हो या देश के प्रधानमंत्री सभी भूमाफियाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा करते रहे हैं.. लेकिन उनके ही मंत्रिमंडल के साथी ऐसे तत्वों को संरक्षण देते रहे हैं यही कारण है कि पूर्व में मध्य प्रदेश में 8000 से अधिक अवैध कॉलोनी काटी गई और अब भी यह सिलसिला जारी है प्रिंसेस स्टेट कॉलोनी का यह एकमात्र मसला नहीं है इंदौर में इस तरह के सैकड़ो मामले लंबित है जिन्हें राजनितिक संरक्षण के चलते प्रशासनिक अमला हमेशा लटकाए रखता है.. बहरहाल इतना ओर बता दें कि 1000 प्लाट धारक रजिस्ट्री, नामांकन सहित भू अधिकार के सभी सक्षम दस्तावेज लेकर बीते 15 10 सालों से कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर, नगर निगम ओर यहां तक की रेरा में भी अपना पक्ष रख हक की मांग करते रहें हैं.. तीन कलेक्टर बदल गए लेकिन अब तक भूखंड धारकों को अपना हक नही मिला..26 वर्ष पूर्व काटी गई कालोनी में खरीदे गए प्लॉट पर अपना घर बनाने का सपना पूरा होता देखने की चाह में कई आंखे पथरा गई है..