एक्टर धर्मेंद्र का 89 साल की उम्र में निधन, विले पार्ले श्मशान घाट में हुआ अंतिम संस्कार अमिताभ-सलमान समेत कई सेलेब्स श्रद्धांजलि देने पहुंचे

दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन हो गया है। 89 साल के धर्मेंद्र ने सोमवार दोपहर अपने घर पर अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को मुंबई के विले पार्ले स्थित पवन हंस शवदाह गृह में किया गया, जिसमें अमिताभ बच्चन, सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान, संजय दत्त समेत कई फिल्मी हस्तियां शामिल हुईं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, अक्षय कुमार और करण जौहर सहित देश के कई नेताओं और सेलेब्रिटीज ने धर्मेंद्र के निधन पर दुख व्यक्त किया। धर्मेंद्र के निधन के बाद रेखा, प्रीति जिंटा, काजोल, फरहान और जोया अख्तर, शिल्पा-शमिता शेट्टी, वत्सल सेठ समेत कई सेलेब्स उनके घर श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

12 नवंबर को धर्मेंद्र को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था-
धर्मेंद्र कुछ समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। 10 नवंबर को उन्हें सांस लेने में दिक्कत आई थी, जिसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया। इस दौरान उन्हें वैंटिलेटर में रखा गया था। मीडिया में उनके निधन की खबर भी आई, जिसे परिवार ने नकार दिया। 12 नवंबर को धर्मेंद्र को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया था और डॉक्टरों ने घर पर ही उनके आगे के इलाज की बात कही थी।

एक नजर धर्मेंद्र
के फिल्मी सफर पर
धर्मेंद्र की कहानी शुरू होती है 1935 से…
ब्रिटिश इंडिया में पंजाब के गांव सहनेवाल के हेडमास्टर केवल किशन देओल के घर 8 दिसंबर 1935 को धर्मेंद्र का जन्म हुआ। जिन्हें नाम दिया गया था धरम केवल किशन। पंजाबी जट परिवार में धर्मेंद्र का बचपन सहनेवाल में ही बीता। जिस गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उनके पिता हैडमास्टर थे, वहीं से धर्मेंद्र ने पढ़ाई की। धर्मेंद्र जब दसवीं में थे तब उन्होंने दिलीप कुमार की फिल्म ह्यशहीदह्ण देखी। उन्हें फिल्म इस कदर पसंद आई कि उन्होंने खुद भी हीरो बनने का फैसला कर लिया।

धर्मेंद्र करीब 19 साल के ही थे, जब 1954 में उनके पिता ने उनकी शादी प्रकाश कौर से करवा दी। इसी समय एक दिन अखबार में फिल्मफेयर मैगजीन एक टेलेंट हंट कॉम्पिटिशन का इश्तिहार पढ़ा। इसमें जीतने वाले को फिल्मों में काम मिलने वाला था। नई-नई शादी हुई थी, तो उनके लिए पत्नी को छोड़कर मुंबई जाना मुश्किल था, लेकिन उन्होंने घरवालों को मना ही लिया।

धर्मेंद्र चंद रुपए लेकर बॉम्बे (अब मुंबई) पहुंचे और देशभर से आए युवाओं को मात देकर कॉम्पिटिशन जीत गए। शर्त के अनुसार विजेता धर्मेंद्र को फिल्म दी जाने वाली थी, लेकिन उनके साथ कोई फिल्म नहीं बनाई गई। हीरो बनने के लिए धर्मेंद्र बॉम्बे में ही रुके और गुजारे के लिए नौकरी ढूंढ ली। उन्होंने एक ड्रिलिंग फर्म में नौकरी की जहां उनकी तनख्वाह थी 200 रुपए। नौकरी के साथ-साथ वो कई प्रोड्यूसर्स के दफ्तरों के चक्कर काटा करते थे।
मामूली तनख्वाह से कभी भरपेट खाना मिल जाता था, तो कभी खाली पेट ही सो जाया करते थे। ऐसे ही एक रोज धर्मेंद्र काम से लौटे तो भूख से बेहोशी आने लगी। न घर में खाना था, न पैसे। भूख से तड़पते हुए धर्मेंद्र की नजर टेबल पर पड़े इसबगोल के पैकेट पर पड़ गई। उन्हें कुछ नहीं सूझा और उन्होंने पूरा पैकेट एक ग्लास पानी में घोलकर गटक लिया। चंद मिनटों के लिए भूख तो शांत हुई, लेकिन उसके बाद इसबगोल ने अपना काम शुरू कर दिया। आम तौर पर इसबगोल को कब्ज मिटाने या पाचन के लिए इस्तेमाल किया जाता था। धर्मेंद्र के पेट में तेज दर्द शुरू हो गया और उन्हें दस्त लग गए। कुछ घंटों के इंतजार के बाद उनके साथ रहने वाले रूम पार्टनर ने गंभीरता से समझते हुए उन्हें अस्पताल पहुंचाया। जब डॉक्टर को पूरा हाल बताया तो डॉक्टर ने हंसते हुए कहा, इन्हें दवा की नहीं खाने की जरूरत है।
इसी तंगी के दौर में मशक्कत करते हुए उन्हें डायरेक्टर अर्जुन हिंगोरानी की फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे मिल गई। इस फिल्म के लिए उन्हें मात्र 51 रुपए मिले थे। वो अर्जुन हिंगोरानी के गैरेज में रहते थे। कुछ समय बाद फिल्म की शूटिंग शुरू हो गई। शूटिंग चल ही रही थी कि धर्मेंद्र को पीलिया हो गया। वजन घट गया और जब रिकवरी के बाद दोबारा शूटिंग शुरू हुई तो उनका चेहरा मुरझा चुका था।
1960 में रिलीज हुई फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरा जबरदस्त हिट रही और पहली ही फिल्म से धर्मेंद्र को देशभर में पहचान मिल गई। पॉपुलैरिटी मिलते ही धर्मेंद्र को सूरत और सीरत (1962), अनपढ़ (1962), बंदिनी (1963), आई मिलन की बेला (1964), बहारें फिर आएंगी (1966), दिल ने फिर याद किया (1966), दुल्हन एक रात की (1967) जैसी कई हिट फिल्में मिलने लगीं। इन फिल्मों की बदौलत उन्हें 60 के दशक में रोमांटिक हीरो का दर्जा मिला।

फिल्म इंडस्ट्री में तो धर्मेंद्र नाम का हीरो पहचान बना चुका था, लेकिन उन्हें स्टार का दर्जा मिलना अभी बाकी था। ये काम किया मीना कुमारी ने। साल 1964 की फिल्म ह्यमैं भी लड़की हूंह्ण में साथ नजर आए। पहली फिल्म से ही मीना कुमारी धर्मेंद्र को पसंद करने लगीं। उस समय मीना और उनके पति कमाल अमरोही के रिश्ते में दरार आ चुकी थी। मीना कुमारी अपने प्रोड्यूसर्स के सामने शर्त रख दिया करती थीं कि वो तब ही फिल्म की हीरोइन बनेंगी, जब धर्मेंद्र फिल्म के हीरो रहेंगे। मीना कुमारी जैसी बड़ी एक्ट्रेस को कास्ट करने के लिए फिल्ममेकर्स उनकी हर शर्त मान लेते थे। धर्मेंद्र और मीना कुमारी फिल्म पूर्णिमा, काजल, मंझली दीदी, बहारों की मंजिल और फूल और पत्थर में साथ दिखे और धर्मेंद्र को स्टार का दर्जा मिल गया।

300 फिल्मों में 93 हिट और
49 सुपरहिट, लेकिन अवॉर्ड 0
66 सालों के एक्टिंग करियर में धर्मेंद्र ने कॉमेडी, एक्शन और रोमांटिक 300 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया है। इनमें 93 हिट और 49 सुपरहिट फिल्में शामिल हैं। हैरानी की बात ये है कि उन्हें कभी एक्टिंग के लिए अवॉर्ड नहीं मिला।
संजीव कुमार ने हेमा मालिनी को दूसरी बार प्रपोज किया था।

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