कुबेरेश्वर धाम में दो दिन में 5 मौतें: पंडित प्रदीप मिश्रा पर उठे सवाल, रुद्राक्ष वितरण पर लगे अंकुश की मांग
भोपाल | 7 अगस्त 2025 – मध्य प्रदेश के सीहोर जिले स्थित कुबेरेश्वर धाम में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के दो दिवसीय धार्मिक आयोजन में 5 श्रद्धालुओं की मौत ने प्रदेश की सियासत और समाज को झकझोर कर रख दिया है। भीषण भीड़ और अव्यवस्था के बीच जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं की घटना पर भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दलों के नेताओं ने आयोजकों और सरकार से सवाल पूछे हैं।
क्या है पूरा मामला?
पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रावण मास के अवसर पर कुबेरेश्वर धाम में एक विशाल धार्मिक आयोजन रखा था। मंगलवार को रुद्राक्ष वितरण के दौरान भगदड़ मचने से दो महिलाओं की मौत हो गई, जबकि बुधवार को तीन और श्रद्धालुओं की जान गई। इस आयोजन में लगभग ढाई लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने का दावा किया गया है।
मृतकों की पहचान:
मंगलवार (रुद्राक्ष वितरण के दौरान भगदड़)
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जसवंती बेन (56), ओम नगर, राजकोट (गुजरात)
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संगीता गुप्ता (48), फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश)
बुधवार (भीड़ और स्वास्थ्य कारणों से)
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चतुर सिंह (50), गुजरात – होटल के पास बेहोश होकर मौत
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ईश्वर सिंह (65), रोहतक (हरियाणा) – चक्कर आने से गिर पड़े
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दिलीप सिंह (57), रायपुर (छत्तीसगढ़) – हार्ट अटैक से मौत
घायलों की स्थिति:
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सुनीता (हरियाणा) – हाईवे पर गिरने से घायल
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पूजा सैनी (मथुरा) – धाम में गिरकर घायल
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मनीषा (नागपुर) – बेहोश होकर अस्पताल में भर्ती
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
पूर्व मंत्री कुसुम महदेले (भाजपा):
“रुद्राक्ष बांटना बंद करें पंडित प्रदीप मिश्रा। यह धार्मिक आयोजन नहीं, आडंबर बनता जा रहा है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे आयोजनों पर निगरानी रखे और रुद्राक्ष वितरण पर रोक लगाए।”
करण सिंह वर्मा (राजस्व मंत्री, भाजपा):
“हम मामले की न्यायिक जांच कराएंगे। मृतकों और घायलों के परिवारों को न्याय दिलाया जाएगा।”
कंचन तन्वे (भाजपा विधायक, खंडवा):
“पंडित जी कथा करें, लेकिन रुद्राक्ष न बांटें। रुद्राक्ष के लिए मची भगदड़ में लोगों की जान चली जाती है।”
राजेन्द्र कुमार सिंह (कांग्रेस विधायक, अमरपाटन):
“धर्म का उद्देश्य लोगों को अच्छा इंसान बनाना है, न कि ऐसे आयोजनों में जान गंवाना। धर्म में दिखावा और आडंबर नहीं होना चाहिए।”
कांवड़ यात्रा और भीड़ का प्रबंधन
बुधवार को पंडित मिश्रा ने 11 किमी लंबी कांवड़ यात्रा निकाली, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। इस दौरान हेलिकॉप्टर से फूलों की वर्षा भी की गई। लेकिन आयोजनों के चलते भोपाल-इंदौर हाईवे पर भारी जाम लग गया और कई किलोमीटर तक वाहन रेंगते रहे।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया:
एक महिला श्रद्धालु ने कहा –
“भीड़ तो बहुत है, सांस लेना भी मुश्किल है, लेकिन यहां आकर आनंद भी आ रहा है। दर्शन करने के बाद सब भूल गए।”
प्रशासन के सामने अब सवाल:
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क्या आयोजकों ने भीड़ प्रबंधन के पर्याप्त इंतज़ाम किए थे?
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क्या सरकार ने इतनी बड़ी भीड़ को लेकर पहले से योजना बनाई थी?
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क्या रुद्राक्ष वितरण जैसी परंपराएं अनियंत्रित भीड़ का कारण बन रही हैं?
निष्कर्ष:
कुबेरेश्वर धाम की यह घटना न केवल धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि धार्मिक भावनाओं और अनुशासन के बीच संतुलन कितना जरूरी है। सरकार द्वारा न्यायिक जांच का वादा तो किया गया है, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए ठोस कार्ययोजना की आवश्यकता है।
