पूर्व सिविल सर्जन डॉ. पी.एन. वर्मा पर लोकायुक्त में FIR: कोरोना काल में बिना टेंडर कराए गए करोड़ों के कार्य
उज्जैन में पूर्व सिविल सर्जन डॉ. प्रयागनारायण वर्मा और उनके साथ दो अन्य शासकीय कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने आर्थिक अनियमितताओं के मामले में FIR दर्ज की है। आरोप है कि कोरोना काल के दौरान बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए, निजी फर्मों को कार्य सौंपकर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया।
⚖️ क्या है पूरा मामला?
-
मामला शासकीय चरक भवन अस्पताल उज्जैन से जुड़ा है।
-
आरोप है कि पुरानी फर्मों के टेंडर की अवधि समाप्त हो जाने के बावजूद, उन्हें तीन वर्षों तक बिना नए टेंडर के काम सौंपा गया।
-
फर्मों को इस दौरान करोड़ों का अनुचित लाभ मिला।
🧾 जिन फर्मों से कार्य कराया गया:
-
डेहली रेफ्रिजरेशन एंड एयर कंडिशनिंग इंजीनियरिंग, इंदौर
-
रिडेन एसपीसी ऑक्सीजन गैस सप्लायर
लोकायुक्त की जांच में पाया गया कि इन फर्मों को जीएसटी सहित भुगतान किया गया, लेकिन शासन को वह राशि जमा नहीं करवाई गई।
🕵️♂️ लोकायुक्त की जांच और FIR
-
जांच अधिकारी: लोकायुक्त डीएसपी राजेश पाठक
-
ऑडिट के बाद पूरे अनियमित भुगतान की राशि का मूल्यांकन किया जाएगा।
👮♂️ FIR में नामजद अधिकारी:
| नाम | पद (तत्कालीन) | स्थिति |
|---|---|---|
| डॉ. पी.एन. वर्मा | सिविल सर्जन सह मुख्य अधीक्षक | सेवानिवृत्त |
| राजकुमार सोनी | लेखापाल | सेवानिवृत्त |
| राहुल पंड्या | प्रभारी लिपिक (ग्रेड-1) | कार्यरत |
🔍 धाराएं लगाई गईं हैं:
-
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018):
-
धारा 7
-
धारा 13(1)(A)
-
धारा 13(2)
-
-
IPC की धारा 120-B (षड्यंत्र)
⚠️ प्रमुख बिंदु:
-
बिना टेंडर हुए कार्यों में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता
-
नियम विरुद्ध तरीके से GST भुगतान
-
शासन को भारी आर्थिक क्षति
-
अब होगा भुगतान और ऑडिट का परीक्षण
यह मामला दर्शाता है कि कोविड जैसी आपदा के समय भी किस तरह से कुछ अधिकारी निजी फर्मों से मिलीभगत कर सरकारी धन का दुरुपयोग करते हैं।
