अर्थी के आगे निभी दोस्ती: दोस्त की अंतिम इच्छा पर झूमकर किया डांस, कहा– “उसने कहा था… खुशी से विदा करना”

अर्थी के आगे निभी दोस्ती: दोस्त की अंतिम इच्छा पर झूमकर किया डांस, कहा– “उसने कहा था… खुशी से विदा करना”

 मंदसौर 

🕊️ “सच्चे दोस्त मरकर भी साथ नहीं छोड़ते…”

मंदसौर जिले के जवासिया गांव में इंसानियत और दोस्ती का ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने हर किसी को भावुक कर दिया। कैंसर से जूझते 71 वर्षीय सोहनलाल जैन की अंतिम यात्रा में उनका सबसे घनिष्ठ मित्र अंबालाल प्रजापत उनकी चार साल पुरानी अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए अर्थी के आगे झूमकर नाचा।

यह कोई आम नृत्य नहीं था—यह श्रद्धांजलि थी, एक वादा निभाने का संकल्प, और सच्ची मित्रता की मिसाल।


✉️ 2021 में लिखी थी आखिरी इच्छा वाली चिट्ठी

सोहनलाल जैन ने 9 जनवरी 2021 को अंबालाल को एक भावुक पत्र लिखा था। इसमें लिखा था—

“जब मैं इस दुनिया में न रहूं, तब मेरी अंतिम यात्रा में शामिल होकर मेरी अर्थी के आगे नाचते हुए मुझे विदा करना। रोना-धोना मत करना, सब कुछ खुशी-खुशी होना चाहिए।”

यह खत उस समय लिखा गया था जब उन्हें अपने कैंसर के बारे में हाल ही में पता चला था। पत्र में सोहनलाल ने अंबालाल से माफी भी मांगी, और अंतिम बार ‘राम-राम’ कहा।


🎵 बैंड-बाजे के साथ अर्थी, लोगों की आँखें नम

30 जुलाई को जब गांव की गलियों से सोहनलाल की अंतिम यात्रा निकली, तो बैंड-बाजे की धुनों के बीच अंबालाल अर्थी के आगे नाचते नजर आए। भीड़ में कई लोगों ने उन्हें रोकना चाहा, लेकिन उन्होंने कहा—

“यह मेरे दोस्त की आखिरी इच्छा है। आज मैं रो नहीं सकता, बस उसे हँसी के साथ विदा करना चाहता हूँ।”


🤝 चाय की दुकान से शुरू हुई थी दोस्ती

पंद्रह साल पहले गांव की एक छोटी सी चाय की दुकान पर सोहनलाल और अंबालाल की पहली मुलाकात हुई थी। धीरे-धीरे यह रिश्ता कृष्ण-सुदामा जैसी मित्रता में बदल गया। दोनों साथ सत्संग करते, भक्ति में समय बिताते और एक-दूसरे की हर जरूरत में खड़े रहते।


💬 “वह चला गया, लेकिन वादा निभवाकर गया” – अंबालाल

भास्कर टीम जब अंबालाल के घर पहुंची, तो वे भावुक होकर बोले—

“उसने मुझसे कहा था कि जब मैं चला जाऊं, तो मुझे हँसी में विदा करना… और मैंने वही किया। यह सिर्फ उसकी इच्छा नहीं थी, यह मेरी दोस्ती की आखिरी परीक्षा थी।”


🙏 फ्रेंडशिप डे पर अनमोल सीख

जहां आज की दुनिया में रिश्ते वक्त के साथ बदल जाते हैं, वहीं सोहनलाल और अंबालाल की दोस्ती एक प्रेरणादायक कहानी बनकर उभरी है। यह घटना बताती है कि सच्ची दोस्ती मृत्यु के पार भी ज़िंदा रहती है।

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