“भारत को मरी हुई अर्थव्यवस्था बताने वाला ट्रंप, क्या अब भी मोदी जी का खास दोस्त है?”

“भारत को मरी हुई अर्थव्यवस्था बताने वाला ट्रंप, क्या अब भी मोदी जी का खास दोस्त है?”

 अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के वर्तमान राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयानों को लेकर विवादों में हैं। इस बार उनके शब्दों का निशाना बना है भारत — जिसे उन्होंने हाल ही में एक “मरी हुई अर्थव्यवस्था” करार दिया है।

एक इंटरव्यू में रूस-भारत के द्विपक्षीय संबंधों पर पूछे गए सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा —
“मुझे परवाह नहीं कि भारत रूस के साथ क्या करता है। अगर वे अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को साथ लेकर डूबना चाहते हैं, तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।”

यह बयान न केवल भारत की वैश्विक छवि पर सीधा हमला है, बल्कि एक ऐसे देश का अपमान है जो विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है, और जिसने वैश्विक मंच पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है।

चुप क्यों हैं प्रधानमंत्री मोदी?

डोनाल्ड ट्रंप को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी “डियर फ्रेंड” कहा था। भारत में “अबकी बार, ट्रंप सरकार” जैसे नारों के साथ जनसभा तक की गई। लेकिन आज जब वही ट्रंप भारत के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, तब प्रधानमंत्री की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप प्रशासन ने भारत के खिलाफ कठोर रवैया अपनाया हो:

  • भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ और पेनल्टी लगाई गई।

  • भारतीय तेल कंपनियों पर अमेरिका में प्रतिबंध लगाए गए।

  • पाकिस्तान के साथ व्यापारिक समझौते को प्रोत्साहित किया गया।

  • और अब भारत को ‘डूबती अर्थव्यवस्था’ कह कर वैश्विक मंच पर नीचा दिखाया गया।

राजनीतिक विश्लेषकों की चिंता

कई विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की बयानबाज़ी भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है। यदि मोदी सरकार इस बयान पर मौन रहती है, तो यह भारत की विदेश नीति और आत्मसम्मान पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।

वरिष्ठ विदेश नीति विशेषज्ञों के अनुसार, “भारत को किसी भी वैश्विक साझेदार के सामने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करना चाहिए। एक मजबूत लोकतंत्र का नेतृत्व केवल दोस्ती निभाने से नहीं, बल्कि राष्ट्रहित में निर्णय लेने से पहचाना जाता है।”

भारत की जनता को चाहिए जवाब

भारत एक गौरवशाली राष्ट्र है। उसकी आर्थिक, कूटनीतिक और सामाजिक शक्ति को ‘मरी हुई अर्थव्यवस्था’ बताना न केवल असत्य है, बल्कि अपमानजनक भी। प्रधानमंत्री मोदी से जनता यह जानना चाहती है कि क्या वे इस अपमानजनक टिप्पणी पर चुप रहेंगे या फिर भारत की गरिमा की रक्षा में कोई कड़ा संदेश देंगे?

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