सावन के पहले सोमवार उज्जैन पहुंचे 2 लाख श्रद्धालु

सावन के पहले सोमवार उज्जैन पहुंचे 2 लाख श्रद्धालु

भगवान महाकाल की भव्य सवारी निकली, ओंकारेश्वर समेत शिवधामों में भी उमड़े भक्त

उज्जैन | 15 जुलाई 2025
सावन के पहले सोमवार पर भगवान शिव के भक्तों का अद्भुत उत्साह देखने को मिला। उज्जैन में भगवान महाकाल के दर्शन के लिए करीब 2 लाख श्रद्धालु पहुंचे। सुबह 2:30 बजे मंदिर के कपाट खुलते ही भक्तों की लंबी कतारें लग गईं। शाम 4 बजे चांदी की पालकी में भगवान श्री मनमहेश नगर भ्रमण पर निकले।


🌊 शिप्रा तट पर हुआ अभिषेक, फिर मंदिर लौटे बाबा महाकाल

महाकाल की सवारी ने महाकाल चौराहा, गुदरी, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पर शिप्रा नदी के तट पर पहुंचकर पूजन और अभिषेक कराया। वापसी में सवारी ने रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक सहित तय मार्ग से वापसी की।


📸 सवारी की तस्वीरों में भक्ति की छाया:

  • डमरू बजाते श्रद्धालु और नृत्य करते भजन मंडलियों ने सवारी को भक्तिमय बना दिया।

  • हरे रंग की साड़ियों में महिलाओं की मंडली ने शिव भक्ति का स्वर बिखेरा।

  • सीधी जिले से आए जनजातीय दल ने ‘घसिया बाजा’ बजाकर पारंपरिक छवि को सजीव किया।


🔱 शिवधामों में उमड़े भक्त: ओंकारेश्वर, भोजपुर, अचलेश्वर…

  • ओंकारेश्वर में सुबह 5 बजे मंगला आरती के साथ दिन की शुरुआत हुई।
    भगवान ओंकार का फूलों से विशेष श्रृंगार किया गया और 56 भोग अर्पित किए गए।

  • भोजपुर के भोजेश्वर महादेव मंदिर में प्राचीन शिवलिंग पर अभिषेक, दर्शन के लिए उमड़ी भीड़।

  • ग्वालियर, छतरपुर, रायसेन, मंदसौर, जबलपुर और सतना के प्रमुख शिव मंदिरों में भी सुबह से ही जलाभिषेक और दर्शन-पूजन का सिलसिला जारी रहा।


🔔 तस्वीरों में भक्ति:

📷 बाबा महाकाल को भस्म चढ़ाने के बाद उनका भव्य श्रृंगार
📷 ओंकारेश्वर में नर्मदा जल से अभिषेक की झलक
📷 जटाशंकर में बेलपत्र अर्पण करती भीड़
📷 अचलेश्वर में दूध से शिव अभिषेक का दृश्य


🚫 श्रद्धालुओं से की गई नो-सेल्फी अपील

महाकाल सवारी में इस बार “नो सेल्फी” अभियान भी चलाया गया।
पुलिस-प्रशासन द्वारा सेल्फी न लेने और दर्शन में सहयोग की अपील की गई, ताकि दर्शन व्यवस्था में बाधा न आए।


📍 श्रावण का पहला सोमवार – शिव के प्रति आस्था का पहला कदम

भक्तों की भीड़, फूलों से सजी सवारी, मंत्रोच्चार और श्रद्धा से गूंजती गलियां…
उज्जैन से ओंकारेश्वर तक शिवभक्ति की अविरल धारा बहती रही।

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