केन्द्रीय मंत्री शिवराज चौहान ने आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद प्राप्त किया

ब्रह्मास्त्र विदिशा

अधिकारों से विचारों में शांती नहीं आती जंहा विचारों की शांति होती है वंहा अधिकार नहीं होते। उपरोक्त उदगार चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्धसागर महाराज ने श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के चतुर्थ दिवस पर अपनी मंगल देशना में व्यक्त किए। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी विधान महोत्सव में पधार कर श्रमण संस्कृति के महामहिम आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद प्राप्त किया एवं इस अवसर पर आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी जी द्वारा रचित विचार ग्रंथ का विमोचन भी किया समारोह के मुख्य अतिथि शिवराज सिंह चौहान जो कि भारत सरकार के कृषी मंत्री एवं मध्यप्रदेश शासन के पूर्व मुख्यमंत्री है, को सूत्र देते हुये कहा कि “देखो जानो और जाने दो” कि रीती नीती से चलोगे तो कभी आपको कष्ट नहीं होगा आचार्य श्री ने कहा कि “किसी के प्राण लैना भारत का धर्म नहीं है।

आचार्यश्री ने शिवराज सिंह को सम्बोधित करते हुए कहा “बेटी बचाओ बेटी पड़ाओ” यह आंदोलन अभी का नहीं है, यह सूत्र तो भगवान ऋषभदेव के शासन काल का सूत्र है। भारतीय संस्कृति में सबसे पहले शिक्षा दी तो वह ब्राह्मी और सुंदरी नाम की बेटियों को दी थी भारत कृषी प्रधान देश यू ही नहीं बना भगवान ऋषभ देव ने कहा कि ऋषी बनों या कृषि कास्तकार बनों 60 मिनट के इस प्रवचन को मुख्य अतिथि शिवराज सिंह जी भी एकटक सुनते रहे। आचार्य श्री ने कहा कि किसी के प्राण लेना भारत का धर्म नहीं है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि संतों का सान्निध्य मिलना दुर्लभ सौभाग्य है, जब मेरे से पूंछा गया कि आपके पास कितना समय है तो मेंने कहा समय ही समय है में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का शिष्य हूं और आज तो आपके विचार ग्रंथ का विमोचन है और सारा खेल विचारों का ही है यह सारा संसार विचारों की ही उत्पत्ति है। मुख्य अतिथि मंत्री ने कहा कि में यंहा पर कोई मंत्री के रुप में नहीं आया मैं तो आप से आशीर्वाद प्राप्त करने आया हूं। मैं तो आचार्य विद्यासागरजी महाराज का शिष्य आपके चरणों में नतमस्तक होने और नमोस्तु शासन जयवंत हो करने आया हूं।

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