April 26, 2024

ब्रह्मास्त्र उज्जैन। शिप्रा नदी को दूषित कर रही कान्ह नदी को देखने के लिए भोपाल से तीन सदस्यीय अधिकारियों का दल शुक्रवार को आकर निरीक्षण कर चुका है और अब वह सरकार के सामने पूरा प्लान रखेंगे। उज्जैन संभागायुक्त और कलेक्टर के साथ अधिकारियों ने पीएचई अफसरों के साथ त्रिवेणी घाट और तपोभूमि के पास राघो पिपलिया पर जाकर शिप्रा में मिल रही कान्ह नदी को देखा। गौरतलब है कि शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर दत्त अखाड़ा घाट पर एक सप्ताह तक संतो ने धरना दिया था।
जल प्रदूषण बोर्ड द्वारा शिप्रा के पानी की डी ग्रेड देने के बाद सरकार सक्रिय हो गई है।
शुक्रवार दोपहर त्रिवेणी के घाटों पर निरीक्षण करने पहुँची भोपाल से आई टीम ने उज्जैन व इंदौर निगम अमले व जिला अधिकारियों के साथ त्रिवेणी स्थित कान्ह नदी से शिप्रा नदी में मिलने वाले पानी को रोकने के लिए बनाये गए कच्चे स्टॉप डेम को पक्के निर्माण में बदलने के लिए निरीक्षण किया।
उज्जैन में शिप्रा नदी में मिल रही कान्ह नदी और प्रदूषित हो रहा शिप्रा का पानी को लेकर अब भोपाल के अधिकारी शिप्रा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए रोड मेप तैयार कर रहे हैं। भोपाल से आये अधिकारियों ने पीएचई अधिकारियों से शिप्रा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए कार्य योजना पूछते रहे। इसके बाद में मेला कार्यालय में आयोजित बैठक में प्रदूषण से बचने के उपायों पर चर्चा की।
कलेक्टर आशीष सिंह के अनुसार शिप्रा में मिल रहे गंदे नाले और कान्ह नदी के प्रदूषित पानी को शिप्रा नदी में मिलने से बचाने के लिए सीएम के आदेश पर अधिकारियो का दल आया है। शिप्रा का अवलोकन कर शासन को अपनी कार्ययोजना प्रस्तुत करेंगे।

… तो भी गंदा पानी शिप्रा में मिलेगा

शिप्रा शुद्धिकरण के लिए इंदौर से आ रहे गंदे पानी को रोकने की दिशा में तो विचार हो रहा है, लेकिन अहम सवाल यह भी है कि उज्जैन के सीवरेज का पानी भी रोकना होगा। इसके साथ ही शिप्रा के आसपास सिंहस्थ मेला के उपयोग में आने वाली सांवराखेड़ी आदि की जमीनों को आवासीय करने तथा शिप्रा तट पर रिसोर्ट, होटल या इसी तरह के किसी संभावित निर्माण की कार्रवाई को भी रोकना होगा, क्योंकि यदि इस तरह के निर्माण हुए तो उसका गंदा पानी भी शिप्रा नदी में ही मिलेगा।