उज्जैन। नागपंचमी पर शहर के गली मोहल्लों में जानकारी के अभाव में कई धर्मालु महिलाओं ने पूजन करते हुए सांपों को दूध पिलाया और यहां तक की सर्प लेकर घूमने वालों को पैसों से नवाजा भी गया और पुराने नए कपडे दिए गए। इस दौरान पिलाओ सांप को दूध की आवाज गली मोहल्ले में पूर्वान्ह से लेकर दोपहर तक गुंजी है। सर्पों के संरक्षण को लेकर किसी प्रकार का आयोजन शहर में नहीं किया गया है।
नागपंचमी पर हर साल की तरह इस साल भी मात्र रस्म अदायगी जिम्मेदारों ने कर अपना काम कागजों में दर्ज किया है। कुछ वर्ष पूर्व जरूर अधिकारी कर्मचारी फिल्ड में उतरे थे और एक दर्जन से अधिक सपेरों को पकड कर उनके कब्जे से सांपों को मुक्त करवाया था। नागपंचमी पर डेरों सांपों को दूध पिलाने के मामले सामने रहे हैं। जिम्मेदार विभाग का दल फिल्ड में कहीं नजर नहीं आया । न ही पूर्व से ही इसे लेकर विभाग ने सूचना जारी कर सपेरों में धमक बनाने की ही कोई कवायद की । हालत यह रही है कि सपेरों के छोटे बच्चे उसमें लडकियों तक ने थैली में सांप रखकर धर्मालुजनों के यहां सर्प को दूध ग्रहण करवाया है। इधर विशेषज्ञों के अनुसार सांप दूध नहीं पीता है और अगर उसे जबरन ऐसा किया जाए तो उसके फेफडों में संक्रमण होता है जिससे उसकी मौत हो जाती है।
सर्प संरक्षण को लेकर आयोजन भी नहीं-
सर्प संरक्षण को लेकर शहर में जिम्मेदार विभाग ने जनजागृति के लिए कोई आयोजन भी नहीं किया और न ही कोई प्रदर्शनी ही लगाई गई ,जिससे की आमजन सर्पों से डरे नहीं और उनके बारे में बेहतर तौर पर जानकारी उसे मिल सके।
