शनिश्वरी अमावस्या 23 अगस्त को: विशेष योग और धार्मिक महत्व
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या इस बार शनिवार, 23 अगस्त को पड़ रही है। शनिवार को अमावस्या होने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जा रहा है।
🔯 विशेष संयोग:
इस दिन सूर्य, चंद्र और केतु की युति सिंह राशि में होगी, जो पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। इस योग में पितृ तर्पण, पिंडदान और पितृ पूजन विशेष फलदायी रहेगा।
🕉️ धार्मिक मान्यता:
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इस दिन को पिठोरा या कुशग्रहणी अमावस्या भी कहते हैं।
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परंपरा अनुसार इस दिन कुश (पवित्रा) का संग्रह किया जाता है।
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कुश ग्रहण करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
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मान्यता है कि शनि की शांति और पितरों की संतुष्टि के लिए यह अमावस्या उत्तम होती है।
🌌 शनि की स्थिति:
वर्तमान में शनि मीन राशि में वक्री हैं।
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मकर, कन्या और मिथुन राशि वालों को स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।
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जिन पर साढ़ेसाती या ढैया चल रही है, उन्हें सावधानी और पूजा-अर्चना से लाभ मिलेगा।
🙏 क्या करें:
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शनि स्तोत्र का पाठ करें।
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शनि मंदिर में तिल के तेल का अभिषेक करें।
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शिप्रा नदी में स्नान कर पितृ तर्पण व दान करें।
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शनि देव को काले तिल और तेल काले कपड़े में बांधकर अर्पित करें।
🪔 राशि अनुसार दान:
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मेष: सूती वस्त्र
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वृषभ: सफेद खाद्य वस्तु
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मिथुन: खड़ा धान
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कर्क: शिवलिंग या नदी में गाय का दूध
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सिंह: पीपल के वृक्ष को जल
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कन्या: हरा मूंग संन्यासी को
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तुला: काली तिल्ली ब्राह्मण को
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वृश्चिक: वस्त्र/आभूषण कनिष्ठ वर्ग को
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धनु: काली गाय को हरी घास
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मकर: शनि उपासना
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कुंभ: विद्यार्थी को पुस्तकें
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मीन: बीमार को दवा या फल
📍 उज्जैन में आयोजन:
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शिप्रा घाट और त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी।
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त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर में विशेष पूजन होगा।
