डोंगला वेधशाला में अद्भुत खगोलीय घटना के साक्षी बने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव — शंकु यंत्र से बताया सूर्य परिचालन का रहस्य
उज्जैन, 21 जून।
गौरवशाली भारतीय खगोलीय ज्ञान और विज्ञान की परंपरा को सजीव करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज उज्जैन जिले के डोंगला स्थित वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला में घटित एक दुर्लभ खगोलीय घटना का अवलोकन किया।
दोपहर 12:28 बजे वेधशाला में स्थित शंकु यंत्र की परछाई कुछ क्षणों के लिए पूरी तरह विलुप्त हो गई — जो पृथ्वी के अक्षीय झुकाव और सूर्य की उत्तरायण स्थिति का वैज्ञानिक प्रमाण है। यह घटना हर वर्ष 21 जून, सूर्य के उत्तरायण के अंतिम बिंदु (राजून) पर होने पर घटती है। मुख्यमंत्री ने इस विलक्षण क्षण को सभी उपस्थित गणमान्यजनों, विद्यार्थियों और वैज्ञानिकों को सरल भाषा में समझाया।
🌓 मुख्यमंत्री बने शिक्षक, शंकु यंत्र से सिखाया खगोलशास्त्र
डॉ. यादव ने शंकु यंत्र की वैज्ञानिकता समझाते हुए बताया कि यह यंत्र भारतीय ज्ञान परंपरा का अनुपम उदाहरण है। इसके माध्यम से सूर्य की स्थिति, दिनमान का मापन, उत्तरायण-दक्षिणायण की गणना और स्थानीय अक्षांश तक ज्ञात किया जा सकता है।
शंकु यंत्र एक गोलाकार चबूतरे पर आधारित यंत्र है, जिसमें मध्य में लगे शंकु की छाया से सूर्य की चाल, दिन की लंबाई और सूर्य की कोणीय स्थिति को नापा जाता है। जब सूर्य डोंगला के अक्षांश (23°26′) के ठीक ऊपर होता है, तब यह छाया पूरी तरह गायब हो जाती है — इसे ‘शून्य परछाई’ कहते हैं।
🌞 भारतीय खगोल विज्ञान और नववर्ष की वैज्ञानिकता
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायण गमन के दौरान दिनमान में परिवर्तन होता है।
-
21 जून को दिन सबसे लंबा होता है।
-
22 दिसंबर को सूर्य दक्षिणायण के अंतिम बिंदु पर होता है और दिन सबसे छोटा होता है।
-
22 मार्च व 23 सितंबर को दिन और रात बराबर होते हैं — यही मेष संक्रांति और नववर्ष की वैज्ञानिक नींव है।
