🔴 गणेश मंदिर में बेटियों के पहनावे को लेकर लगा विवादित बोर्ड, सामाजिक बहस तेज
📍 उज्जैन | 07 अगस्त 2025
उज्जैन जिले के पास नागदा के बिड़ला ग्राम स्थित बड़े गणेश मंदिर में लड़कियों के पहनावे को लेकर लगाए गए एक पोस्टर ने धार्मिक परिसर से लेकर सोशल मीडिया तक नई बहस को जन्म दे दिया है। पोस्टर में माता-पिता को जिम्मेदार ठहराते हुए पांच तीखे सवाल पूछे गए हैं, जिनका फोकस लड़कियों के कपड़ों की शैली और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर है।
🧾 क्या लिखा है पोस्टर में?
पोस्टर में माता-पिता से सवाल करते हुए कहा गया है:
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क्या टीवी-फिल्मों को देख, 4-8 साल की बेटियों को फूहड़ ड्रेस पहनाने वाली मां जिम्मेदार नहीं?
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क्या 10 साल से अधिक उम्र की बेटियों के टाइट व छोटे कपड़े पहनने पर चुप रहने वाला पिता दोषी नहीं?
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क्या छोटे व अर्धनग्न कपड़े पहनने वाली लड़कियों को मॉडर्न समझना सही सोच है?
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बेटियों को विचारों की आज़ादी दीजिए, अश्लील पहनावे की नहीं।
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शालीन कपड़े आपकी बेटी का सुरक्षा कवच हैं।
पोस्टर में अंत में “जनजागरण समिति” का उल्लेख है, जिससे अंदेशा है कि यह किसी सामाजिक संगठन द्वारा लगाया गया हो सकता है, हालांकि अब तक किसी ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है।
🔖 पुजारी महासंघ का समर्थन
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने इस पोस्टर का समर्थन करते हुए कहा है कि मंदिर आस्था और मर्यादा का स्थान है। महासंघ के अध्यक्ष महेश शर्मा, जो महाकाल मंदिर के वरिष्ठ पुजारी भी हैं, ने कहा:
“जैसे दक्षिण भारत के कई मंदिरों में ड्रेस कोड लागू है, वैसे ही महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भी ड्रेस कोड है। श्रद्धालु, विशेषकर महिलाएं अगर शालीन कपड़ों में मंदिर आएंगी तो यह सनातन धर्म की गरिमा बनाए रखेगा।”
💬 विवाद और प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर इस पोस्टर को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं:
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एक वर्ग इसे महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला बता रहा है।
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वहीं, दूसरा पक्ष इसे भारतीय परंपराओं के सम्मान और सांस्कृतिक मर्यादा से जोड़कर समर्थन दे रहा है।
📌 प्रशासन और मंदिर समिति की चुप्पी
विवाद के बाद भी स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या यह पोस्टर हटाया जाएगा या इस पर कोई कार्रवाई की जाएगी।
🧠 आपकी राय क्या कहती है?
क्या धार्मिक स्थलों पर ड्रेस कोड लागू होना चाहिए?
क्या यह परंपरा का पालन है या स्वतंत्रता पर अंकुश?
