उज्जैन महाकाल मंदिर में भांग श्रृंगार पर विवाद
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव के भांग श्रृंगार को लेकर विवाद तेज हो गया है। उज्जैनिय विद्वत परिषद के अध्यक्ष और पूर्व कमिश्नर मोहन गुप्त ने इस पर आपत्ति जताते हुए तत्काल बंद करने की मांग की है। उनका कहना है कि किसी भी शास्त्र, शिव पुराण या लिंग पुराण में शिवलिंग पर भांग चढ़ाने का उल्लेख नहीं मिलता।
मोहन गुप्त ने आरोप लगाया कि पुजारी व्यावसायिक लाभ के लिए बड़ी मात्रा में भांग शिवलिंग पर अर्पित करते हैं और उसका फोटो जजमानों तक भेजते हैं। उनका कहना है कि रोजाना मोटी परत में भांग चढ़ने से शिवलिंग का क्षरण हो रहा है, जो परंपराओं के विपरीत है।
दूसरी ओर, मंदिर के पुजारियों ने इन दावों को खारिज किया है। उनका कहना है कि हर परंपरा वेद और पुराणों में स्पष्ट नहीं होती। 1978 से पहले से महाकाल पर भांग अर्पित की जाती रही है और यह सामान्य व प्राकृतिक परंपरा है। साथ ही, मंदिर प्रशासन और न्यायालय की गाइडलाइन के अनुसार ही भांग अर्पित की जाती है।
यह विवाद तब गहरा गया जब 18 अगस्त को राजसी सवारी से पहले महाकाल का भांग श्रृंगार टूटकर गिर गया और उसका वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने पुजारी प्रदीप गुरु को नोटिस देकर तय मात्रा से अधिक भांग चढ़ाने पर जवाब मांगा है।
👉 अब सवाल यह उठ रहा है कि भांग श्रृंगार परंपरा है या अंधविश्वास? विद्वानों और पुजारियों के बीच इस मुद्दे पर बहस और तेज होने की संभावना है।
