उज्जैन के झलारिया गांव में खाप जैसी पंचायत: पुजारी परिवार का सामाजिक बहिष्कार, बच्चों को स्कूल से निकाला

उज्जैन के झलारिया गांव में खाप जैसी पंचायत: पुजारी परिवार का सामाजिक बहिष्कार, बच्चों को स्कूल से निकाला

📍 उज्जैन | 16 जुलाई 2025

उज्जैन जिले के झलारिया पीर गांव में एक सामाजिक बहिष्कार का मामला सामने आया है, जिसमें गांव की एक खाप जैसी पंचायत ने मंदिर के पुजारी और उनके पूरे परिवार को गांव की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों से बाहर कर दिया। इतना ही नहीं, उनके तीन बच्चों को स्कूल से बाहर करने, मजदूरी करने, बाल कटवाने और पूजा-पाठ करवाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।

🔸 मंदिर परिसर में की गई पंचायत, माइक पर पढ़ा गया फरमान

गांव के नागराज मंदिर परिसर में यह पंचायत बुलाई गई, जहां पूर्व पंचायत मंत्री गोकुल सिंह देवड़ा ने माइक पर पंचायत का निर्णय सार्वजनिक रूप से पढ़कर सुनाया। पंचायत के निर्णय का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर ₹51,000 का जुर्माना लगाने की भी चेतावनी दी गई। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे और हाथ उठाकर बहिष्कार का समर्थन करते नजर आए।

🔸 बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ा असर

इस पंचायत के बाद पुजारी पूनमचंद चौधरी के बच्चों को स्कूल से निकालने की बात सामने आई। जब एक ग्रामीण ने इसका विरोध किया, तो पंचायत ने जवाब में कहा कि यह निर्णय कुछ लोगों के सुझाव पर लिया गया है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है।

🔸 मंदिर की जमीन और पुजारी को हटाने का विवाद

पुजारी परिवार के अनुसार, गांव में स्थित देव धर्मराज मंदिर की सेवा उनका परिवार वर्षों से करता आ रहा है। मंदिर से लगी करीब चार बीघा भूमि पर खेती कर वे अपना जीवन यापन करते हैं। हाल ही में कुछ ग्रामीणों द्वारा मंदिर की जमीन पर कब्जा करने और मंदिर को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का प्रयास किया गया, जिसका पुजारी परिवार ने विरोध किया।

पुजारी के बेटे मुकेश चौधरी के मुताबिक, इसी विरोध के बाद गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने पुजारी परिवार को निशाना बनाकर 14 जुलाई को पंचायत बुला ली और बहिष्कार का आदेश सुना दिया।

🔸 कलेक्टर से की शिकायत, जांच के आदेश

इस पूरे घटनाक्रम के बाद पूनमचंद चौधरी ने कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है। जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रशासनिक अधिकारी अब गांव पहुंचकर स्थिति की समीक्षा करेंगे।


ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस प्रकार का सामाजिक बहिष्कार न केवल संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि बच्चों की शिक्षा जैसे बुनियादी अधिकार पर भी सीधा प्रहार करता है। प्रशासन की जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी कि क्या यह कानूनी कार्रवाई का विषय बनता है।

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