ई-केवायसी का आज अंतिम दिन अब भी जिले में 60 हजार नहीं पहुंचे पंजीयन होने -40 हजार बच्चों के ई-केवायसी में आधार अपडेट की समस्या

 

उज्जैन। खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत प्रतिमाह दिए जाने वाले नि:शुल्क खाद्यान्न का लाभ केवल पात्र व्यक्तियों को ही मिले, इसके लिए ई-केवायसी करवाया जा रहा है। ई-केवायसी के लिए 31 मई अंतिम तिथि पूर्व से ही निर्धारित है। जिले में करीब 60 हजार उपभोक्ता अब भी ई केवायसी के लिए नहीं पहुंचे हैं। इससे इन पर शंका के बादल मंडरा रहे हैं।

पिछले लंबे समय से खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत प्रतिमाह दिए जाने वाले नि:शुल्क खाद्यान्न के लिए ई केवायसी करवाना अनिवार्य किया गया है। इसके लिए पूर्व में कई बार अंतिम तारीखों को आगे बढाते हुए 31 मई तक ई-केवायसी करवाना अनिवार्य किया गया था। इसके बावजूद जिले में अब भी 60 हजार से अधिक ऐसे उपभोक्ता न तो केंद्रों पर पहुंचे हैं और न ही उन्होंने अपनी ई-केवायसी अपडेट ही की है।

12.20 लाख में से 11 लाख के करीब ई-केवायसी-

जिला आपूर्ति नियंत्रक शालू वर्मा बताती हैं कि जिले में ई-केवायसी का काम 90 प्रतिशत से कुछ अधिक हुआ है। जिले में कुल 12.20 लाख उपभोक्ताओं का ई-केवायसी किया जाना था। इसके विरूद्ध अंतिम तारीख 31 मई के एक दिन पूर्व तक करीब 11 लाख उपभोक्ताओं की ई केवायसी की गई है। शेष 1 लाख से अधिक उपभोक्ताओं में 40 हजार के लगभग ऐसे बच्चे हैं जिनका आधार कार्ड अपडेट नहीं होने के कारण ई-केवायसी में समस्या बनी हुई है। इसके अतिरिक्त शेष 60 हजार से अधिक उपभोक्ता अब भी पिछले ढाई महीने के  अभियान के बाद भी दुकानों पर नहीं पहुंचे हैं जिससे की उनका ई-केवायसी अपडेट किया जा सके।

निकायों ने हटाए भी हैं नाम –

जिला आपूर्ति नियंत्रक सुश्री वर्मा का कहना है कि इस दौरान जिले की निकायों ने कई नाम हटाए भी हैं जिनमें ज्यादातर मृतकों के नाम हैं । ऐसे ही अन्य मामलों में भी कुछ नाम हटाए गए हैं।

आज अंतिम अवसर-

सुश्री वर्मा बताती हैं कि हाल ही में ई केवायसी को लेकर हुई विडियो कांफ्रेंसिंग में साफ तौर पर कहा गया है कि 31 मई इसके लिए अंतिम रहेगी,इसके बाद ई केवायसी के लिए तारीख नहीं बढेगी। रविवार को ही शेष उपभोक्ता अपनी ई-केवायसी को अपडेट करवा सकेंगे।

 

इसलिए ई केवायसी प्रक्रिया-

खाद्य सुरक्षा कानून के प्रविधान के अंतर्गत मध्य प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के 5.46 करोड हितग्राही हो सकते हैं। यह संख्या साढे पांच करोड़ को पार कर गई थी। जांच कर कुछ नाम छांटे गए फिर भी अपात्रों को राशन मिलने की शिकायतें आ रही थीं। इसे देखते हुए सरकार ने ई-केवायसी की प्रक्रिया प्रारंभ की। इसमें एक-एक हितग्राही की पहचान सुनिश्चित करने के लिए आधार आधारित बायोमैट्रिक सत्यापन कराया जा रहा है।

 

2.90 लाख टन प्रतिमाह गेहूं-चावल-

अब तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत प्रतिमाह 2.90 लाख टन नि:शुल्क खाद्यान्न दिया जाता है। इसमें 1.74 लाख टन चावल और 1. 16 लाख टन गेहूं है। प्रदेश सरकार ने चावल का कोटा कम करके गेहूं का बढ़ाने की मांग की है। गेहूं उपार्जन का काम पूरा हो चुका है इसलिए अब कोटा में परिवर्तन संभव है।

 

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