कार्तिक माह में भगवान महाकाल की दूसरी सवारी: चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में प्रजा का हाल जानने निकले, भक्तों की उमड़ी अपार भीड़

कार्तिक माह में भगवान महाकाल की दूसरी सवारी: चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में प्रजा का हाल जानने निकले, भक्तों की उमड़ी अपार भीड़

उज्जैन।
महाकाल की नगरी उज्जैन में सोमवार को आस्था का सागर उमड़ पड़ा। भगवान महाकालेश्वर की कार्तिक माह की दूसरी सवारी भव्य शाही ठाठ-बाट के साथ मंदिर परिसर से निकली। इस बार सवारी का विशेष संयोग इसलिए बना क्योंकि कार्तिक माह की दूसरी सवारी और वैकुंठ चतुर्दशी एक ही दिन पड़ी हैं।

महाकालेश्वर भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में रजत पालकी में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देने निकले। सवारी निकलते ही “जय महाकाल” के जयघोष से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।


सात घंटे के अंतराल में दो दिव्य सवारियां

मंदिर प्रबंधन के अनुसार सोमवार को भगवान की दो सवारियां निकाली जाएंगी —
पहली शाम 4 बजे कार्तिक माह की दूसरी सवारी,
और दूसरी रात 11 बजे हरिहर मिलन की विशेष सवारी।

ऐसा दुर्लभ अवसर बहुत कम बनता है जब एक ही दिन में भगवान महाकाल दो रूपों में नगर भ्रमण पर निकलते हैं।


शाही ठाठ-बाट के साथ निकली पहली सवारी

शाम 4 बजे सभा गृह में विधि-विधानपूर्वक पूजन हुआ।
कलेक्टर रोशन सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा ने भगवान की पालकी का पूजन किया।

इसके बाद सशस्त्र बल की टुकड़ी ने पालकी में विराजित भगवान चंद्रमौलेश्वर को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। पुलिस बैंड और पारंपरिक नगाड़ों की धुन पर सवारी मंदिर से रवाना हुई।

भक्तों में उत्साह का आलम ऐसा था कि हर गली, हर मोड़ पर श्रद्धालु खड़े होकर बाबा की झलक पाने को आतुर थे।
पूरे मार्ग पर पुष्पवर्षा और “हर हर महादेव” के जयकारे गूंजते रहे।


सवारी का मार्ग

सवारी महाकाल मंदिर से निकलकर
गुदरी चौराहा → बख्शी बाजार → कहारवाड़ी → रामघाट पहुँची।
यहाँ मां क्षिप्रा के जल से भगवान का पूजन किया गया।
इसके बाद सवारी गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी चौराहा होते हुए
शाम 7 बजे पुनः महाकाल मंदिर लौट आई।


हरिहर मिलन की सवारी रात 11 बजे

मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि
रात 11 बजे भगवान महाकाल की हरिहर मिलन सवारी निकाली जाएगी।
यह सवारी भगवान विष्णु और भगवान महाकाल के मिलन का प्रतीक है।

रजत पालकी में विराजित भगवान राजसी ठाठ-बाट से निकलेंगे। बाहर पुलिस दल भगवान को सलामी देगा। सवारी में बैंड, घुड़सवार, वाद्य दल और झांकियां शामिल होंगी।

यह सवारी महाकाल मंदिर से गोपाल मंदिर तक जाएगी —
मार्ग रहेगा: महाकाल मंदिर → गुदरी चौराहा → पटनी बाजार → द्वारकाधीश गोपाल मंदिर।
गोपाल मंदिर पहुंचकर भगवान हरिहर मिलन के दौरान रुद्राक्ष और बिल्व पत्र की पूजा करेंगे।

इस बार प्रशासन ने आतिशबाजी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है ताकि पर्यावरण और सुरक्षा दोनों का ध्यान रखा जा सके।


आगामी सवारियों की तिथियां

मंदिर प्रबंधन के अनुसार,

  • तीसरी सवारी: 10 नवंबर 2025

  • चौथी सवारी: 17 नवंबर 2025

कार्तिक और अगहन (मार्गशीर्ष) माह में निकलने वाली ये सवारियां उज्जैन के धार्मिक कैलेंडर की सबसे विशेष घटनाओं में गिनी जाती हैं।


श्रद्धा और भक्ति का संगम

सवारी मार्ग पर श्रद्धालु अपने घरों की छतों और दुकानों से पुष्पवर्षा करते नजर आए।
मंदिर के बाहर और मार्ग पर भंडारे, जल वितरण और सेवा शिविर भी लगाए गए थे।
हर आयु वर्ग के लोगों में भक्ति का उत्साह देखने को मिला।

महाकाल की नगरी में पूरा वातावरण आस्था, ध्वनि और दिव्यता से भर गया —
साक्षात् ऐसा लग रहा था जैसे स्वयं भगवान अपनी प्रजा का हाल जानने निकले हों।

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